विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर से मंगलवार को एनडीटीवी को दिए एक साक्षात्कार में कहा है कि पिछले 10 वर्षों में जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है। भारतीय क्षेत्रों के अपने नक्शें में दिखाने की चीन की हिमाकत को लेकर पूछे गए सवाल पर विदेश मंत्री ने कहा कि ऐसा करना उनकी पुरानी आदत रही है।
उन्होंने कहा कि अक्साई चीन और लद्दाख भारत का अभिन्न हिस्सा है। हमारी सरकार का रुख देश के हिस्सों को लेकर बेहद साफ है। चीन का वार्ता का मुद्दा अलग होता है, नक्शे अलग। पहले भी चीन नक्शे निकालता रहा है। चीन के दावे से कुछ नहीं होता। वो इलाके भारत का हिस्सा हैं। वहीं संयुक्त राष्ट्र संघ को लेकर एक सवाल पर उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों को यह महसूस करना होगा कि यह सुधारों का समय है। भारत को चीन प्लस वन के रूप में नहीं दिखाया जाना चाहिए।
2023 की दुनिया काफी जटिल हो गई है
एनडीटीवी को दिए इस साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि महामारी और दुनिया भर में चल रहे संघर्षों के चलते 2023 की दुनिया काफी जटिल हो गई है। ऐसे में सवाल उठता है कि, कौन आगे बढ़कर बीच का रास्ता निकाल सकता है? ईस्ट-वेस्ट और नॉर्थ-साउथ की दूरियों को कौन पाट सकता है। ऐसे में भारत सम्मान के साथ दुनिया को राह दिखा रहा है। यूरोप में ईंधन का संघर्ष और भोजन पर प्रभाव पड़ रहा है। आर्थिक परिणामों वाली जलवायु से जुड़े घटनाएं अधिक बार हो रही हैं। आज दुनिया में स्थिति पहले से कहीं अधिक चिंताजनक है। कोविड महामारी ने दुनिया को दिखाया है कि आपूर्ति श्रृंखला अर्थव्यवस्था को कैसे बाधित कर सकते हैं। दुनिया पारदर्शिता के साथ अधिक आपूर्ति श्रृंखला चाहती है। आज विनिर्माण अत्यधिक केंद्रित है। उन्होंने कहा, कि जब तक हम अपनी दैनिक जीवनशैली नहीं बदलते और जलवायु-अनुकूल परिवर्तन नहीं लाते, कुछ भी नहीं बदलेगा।
पाकिस्तान की कम चर्चा बाजार का फैसला
एनडीटीवी को दिए साक्षात्कार में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान को लेकर कहा कि "लूजिंग स्टॉक" के बारे में कौन बात करता है। कहा कि हमारी पड़ोस नीति प्रथम है। पड़ोस सुरक्षित और समृद्ध रहे। हम पड़ोस के आगे भी जा रहे हैं। विदेश मंत्री ने कहा, मैंने देखा कि कैसे दुनिया ने हम पर दबाव बनाने के लिए कश्मीर का इस्तेमाल किया है। पाकिस्तान इस पर आज भी बात करता है, लेकिन आप सोचिए पाकिस्तान को लेकर अब दुनिया बात क्यों नहीं करती है। बात साफ है, लूजिंग स्टॉक में कौन इंवेस्ट करेगा? पाकिस्तान की कम चर्चा बाजार का फैसला है। गिरते स्टॉक कौन देखता है।
जी-20 की प्राथमिकता जलवायु है
एनडीटीवी को दिए गए साक्षात्कार में विदेश मंत्री ने कहा कि जी-20 शिखर सम्मेलन में दुनिया भारत आएगी, क्योंकि इसमें क्षमता और सामर्थ्य है। उन्होंने कहा कि जाहिर है, इसमें भू-राजनीति भी होगी, लेकिन हमारे लिए ये महत्वपूर्ण है कि हम देश में विनिर्माण बढ़ाने के तरीके ढूंढे। हमारे लिए ये एक बड़ा अवसर है। आज जलवायु से जुड़ी चुनौतियां हैं और जी-20 की प्राथमिकता जलवायु है। आज जलवायु के हालात खराब हैं।विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को लोकतांत्रिक बनाने और स्थिरता के माध्यम से हरित विकास को कैसे प्रोत्साहित किया जाए, इस पृष्ठभूमि में, भारत एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र और चीन के विकल्प के रूप में उभरने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। आज निवेश प्रवाह, डिजिटल इक्विटी और लैंगिक मुद्दों में अंतर को पाटना महत्वपूर्ण है। अगर जी 20 इन मुद्दों को नहीं उठाएगा, तो कौन उठाएगा?
जलवायु संकट से अर्थव्यवस्थाएं संकट से घिर जाती हैं
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस साक्षात्कार में कहा कि नई विश्व व्यवस्था में भारत की अहम भूमिका है। हमें डिबेटिंग फोरम में डिबेट करना है। वहां मैदान नहीं छोड़ना है। लेकिन जहां बात और सहयोग से काम हो जाए, हमें वो काम भी करना है। भारत अपनी मिसाल बना रहा है। विदेशमंत्री ने कहा कि विकसित देश जलवायु परिवर्तन की बात तो करते हैं लेकिन करते कुछ नहीं हैं। जलवायु एक्शन बहुत ज़रूरी है, क्योंकि इससे जुड़ी आपदाएं आर्थिक संकट बनती जा रही हैं। जलवायु संकट से अर्थव्यवस्थाएं संकट से घिर जाती हैं, क्योंकि इससे सप्लाई चेन टूट जाती हैं। भारत जलवायु परिवर्तन संकट से निपटने और ऊर्जा के हरित और नवीकरणीय स्रोतों के उपयोग में परिवर्तन करके दुनिया के लिए एक उदाहरण स्थापित कर रहा है।
युद्ध के बाद दुनिया में अन्न संकट है
जलवायु परिवर्तन संकट में विकसित देशों की भूमिका पर उन्होंने कहा कि जो लोग उपदेश देते हैं वे आचरण नहीं करते। उन्होंने कहा कि भारत को अपने कार्यों से वैश्विक समुदाय को आगे का रास्ता दिखाना होगा। हमें अपने कार्यों से दुनिया को दिखाना है। विदेश मंत्री ने कहा कि इस बार जी 20 में जो भी बातचीत होगी वो सामान्य नागरिक भी समझें। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया में अन्न संकट है ऐसे में श्रीअन्न की पैदावार ही इसका हल है। जटिल समस्याओं का आसान हल खोजना होगा। विदेश मंत्री ने कहा कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के व्यापक प्रभाव के परिणामस्वरूप दुनिया भर में आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि हुई है।
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