भारत की राजनीति में वंशवाद हर राजनीतिक दल की हक़ीक़त है। कांग्रेस, बीजेपी जैसे राष्ट्रीय दलों में तो है ही, क्षेत्रीय दलों में भी परिवारवाद कम नहीं है। तभी तो रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान कुछ समय पहले तक बॉलीवुड में किस्मत आजमा रहे थे और जब वहाँ फ़ेल हुए तो अब लोक जनशक्ति पार्टी यानी लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिए गए। दिल्ली में रामविलास पासवान के आवास पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में चिराग की विधिवत ताजपोशी की गई। 19 साल बाद लोजपा को नया अध्यक्ष मिला है।
परिवारवाद के लिए सबसे ज़्यादा निशाने पर कांग्रेस रही है, लेकिन बिहार में लालू यादव, उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव और चौधरी अजित सिंह का परिवार, कर्नाटक में एचडी देवेगौड़ा का परिवार, आंध्र प्रदेश में एनटी रामाराव-चंद्रबाबू नायडू का परिवार, तेलंगाना में के. चंद्रशेखर परिवार, तमिलनाडु में करुणानिधि परिवार, जम्मू-कश्मीर में अब्दुल्ला और मुफ़्ती परिवार, पंजाब में बादल परिवार आदि ऐसे कई उदाहरण हैं जहाँ वंशवाद है। रामविलास पासवान के परिवार में ये हैं राजनीति में।
लालू यादव परिवार के भी कई सदस्य राजनीति में हैं। इनमें उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटा तेजप्रताप व तेजस्वी, बेटी मीसा, साला साधु यादव सहित उनके कई रिश्तेदार राजनीति में हैं।
कांग्रेस में गाँधी-नेहरू परिवार का दबदबा रहा है। पार्टी में जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गाँधी, संजय गाँधी, राजीव गाँधी, सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी रही हैं। हालाँकि संजय गाँधी की पत्नी मेनका गाँधी बीजेपी की नेता हैं।
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी यानी सपा पर मुलायम सिंह यादव परिवार दबदबा रहा है। फ़िलहाल मुलायम पार्टी के संरक्षक हैं तो अखिलेश यादव पार्टी अध्यक्ष। अखिलेश की पत्नी डिंपल, मुलायम के भाई रामगोपाल सहित कई सगे-संबंधी पार्टी के प्रमुख पदों पर हैं।
बीजेपी में भी वंशवाद कम नहीं है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह नोएडा से विधायक हैं। हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम पीके धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर हमीरपुर सीट से सांसद हैं। केंद्रीय मंत्री मेनका गाँधी और उनके बेटे वरुण गाँधी दोनों ही सांसद हैं। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के बेटे सौरभ बहुगुणा विधायक हैं और विजय बहुगुणा की बहन रीता बहुगुणा योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री हैं।
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत राजे झालावाड़ से पार्टी के टिकट पर सांसद हैं। बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय विधायक हैं।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह एटा से सांसद हैं, और तो और कल्याण सिंह के पोते संदीप सिंह, योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री हैं।
मोदी सरकार में निवर्तमान ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल के पिता वेदप्रकाश गोयल अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रहे थे।
कुछ समय पहले बीजेपी छोड़ चुके पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के बेटे जयंत सिन्हा मोदी सरकार में वित्त राज्य मंत्री हैं
मोदी सरकार में निवर्तमान क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता ठाकुर प्रसाद के बेटे हैं। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा पश्चिमी दिल्ली से सांसद हैं। बीजेपी के दिग्गज नेता रहे चरती लाल गोयल के बेटे विजय गोयल निवर्तमान खेल मंत्री हैं। दिवंगत बीजेपी नेता प्रमोद महाजन की बेटी पूनम महाजन मुंबई नॉर्थ-सेंट्रल से सांसद हैं तो पूर्व केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे भी बीजेपी की नेता हैं। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बेटे राघवेंद्र येदियुरप्पा शिमोगा से सांसद हैं। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुदंरलाल पटवा के भतीजे सुरेंद्र पटवा शिवराज सरकार में पर्यटन मंत्री थे।
चौटाला परिवार भी राजनीति में वंशवाद का बड़ा उदाहरण है। चौधरी देवीलाल ने इंडियन नेशनल लोकदल यानी इनेलो की शुरुआत की थी। फिर उनके वारिश ओम प्रकाश चौटाला हुए। ओम प्रकाश के दोनों बेटे अजय और अभय भी पार्टी में रहे। बाद में पार्टी टूट गई। जजपा पर अजय चौटाला के परिवार का दबदबा है और इनेलो पर अभय चौटाला के परिवार का।
शिवसेना में भी ठाकरे परिवार का दबदबा है। बालासाहेब ठाकरे ने शिवसेना को खड़ा किया। अब उनके बेटे और पोते के हाथ में पार्टी की कमान है। बालासाहेब के भतीजे राज ठाकरे भी राजनीति में हैं। उन्होंने अब अपनी अलग पार्टी एमएनएस बना ली है।
महाराष्ट्र में शरद पवार के परिवार का भी एनसीपी में दबदबा है। शरद पवार के बेटे अजित पवार और उनकी बेटी सुप्रिया सुले भी पार्टी में हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पिता गंगाधर फडणवीस महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य रहे थे। गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत की पत्नी सुलक्षणा सावंत गोवा बीजेपी महिला मोर्चा की अध्यक्ष हैं। हरियाणा में कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा राजनीति में हैं। असम के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता तरुण गोगोई तो राजनीति में हैं ही उनके बेटे गौरव गोगोई भी राजनीति में हैं।
इधर, हाल ही में बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने बीएसीपी के पुनर्गठन में अपने भाई आनंद कुमार को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तो भतीजे आकाश आनंद को राष्ट्रीय संयोजक बनाया है।
शिरोमणि अकाली दल यानी एसएडी में भी बादल परिवार का एकछत्र राज रहा है।
द्रविड़ मुनेत्र कड़गम यानी डीएमके पर एम. करुणानिधि के परिवार का दबदबा रहा है। पहले करुणानिधि पार्टी के अध्यक्ष रहे थे और अब उनके बेटे स्टालिन पार्टी की कमान संभाल रहे हैं। उनके कई और रिश्तेदार पार्टी में हैं।
देश की हर बड़ी और छोटी पार्टी में वंशवाद है। हालाँकि, कांग्रेस हमेशा निशाने पर रही है और बीजेपी ही ज़्यादातर हमला करती रही है। लेकिन न सिर्फ़ बीजेपी के सहयोगी दलों में वंशवाद की परंपरा है, बल्कि बीजेपी में भी ऐसा ही है। बीजेपी में भी कई ऐसे नेता हैं जिनके बेटे-बेटी और दूसरे संबंधी राजनीति में हैं। चूँकि बीजेपी ज़्यादा पुरानी पार्टी नहीं है इसलिए इसमें दो पीढ़ियों के नेता ही शामिल हैं। ऐसे में चिराग पासवान का लोजपा का अध्यक्ष बनना देश में राजनीतिक दलों में वंशवाद की सिर्फ़ एक मिसाल है।
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