गुरुवार को देश भर में रामनवमी
का त्योहार मनाया गया। इसके साथ ही नौ दिन तक चलने वाले चैत्र-नवरात्र का भी समापन
हो गया। रामनवमी एक ऐसा त्योहार है जिसको समाज ने पिछले दस पंद्रह सालों में
ही स्वीकार किया है। रामनवमी को एक त्योहार के रूप में समाज में स्थापित करने के
लिए आरएसएस लगातार प्रयास करता रहा है। जिसमें वह सफल भी हो गया है। अगर कहा जाए
कि रामनवमी आरएसएस का त्योहार है, जिसे समाज के त्योहार पर मान्यता दिलाने की कोशिश
की जा रही है, जिसमें वह पूरी तरह से सफल भी हो गया है। उसकी सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा
सकता है कि रामनवमी उन राज्यों में भी मनाया जाता है, जहां राम अभी भी मुख्य
रूप से स्थापित और मान्य नहीं हैं। इसमें दक्षिण भारत के राज्य प्रमुख हैं। लेकिन रामनवमी
को हिंदुओं के त्योहार के तौर पर प्रचारित करके बीजेपी ने इसे राष्ट्रीय त्योहार
बना दिया गया है।
रामनवमी के बढ़ते उत्साह
के साथ इसमें निकाले जाने वाले जुलूस और धार्मिक यात्रायें एक समुदाय के खिलाफ नफरत
के प्रचार का औजार भी बनती जा रही हैं। यही वजह कि जुलूस के दौरान होने वाली
सांप्रदायिक हिंसा की खबरें भी बढ़ती जा रही हैं।
ताजा ख़बरें
पिछले सालों की तरह इस
साल भी कई जगहों पर हिंसा की खबरें आईं। जुलूस के दौरान हिंसा की ऐसी ही एक खबर आई
पश्चिम बंगाल के हावड़ा से जहां कथित रूप से भड़काऊ नारे लगाने और पथराव के बाद
सांप्रदायिक झड़पें और हिंसा हुई। उसके बाद से इलाके में पुलिस की तैनाती बनी हुई है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हिंसा
का आरोप भाजपा पर लगाया और कहा कि सांप्रदायिक दंगों को अंजाम देने के लिए राज्य
के बाहर के लोगों को बुलाया गया। उन्होंने कहा, 'किसी ने भी जुलूस को नहीं रोका है, लेकिन उन्हें तलवारों और बुलडोजर के साथ जुलूस निकालने का
अधिकार नहीं है।
पश्चिम बंगाल भाजपा के
अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने एएनआई से बात करते हुए कहा कि अब भारत में ऐसे दिन आ गए हैं कि आप कुछ क्षेत्रों में राम
नवमी का जुलूस निकाल सकते हैं और अन्य क्षेत्रों में नहीं जा सकते हैं।
रामनवमी के जुलूस में हुई
हिंसा की एक और खबर आई मुंबई के मालवणी इलाके से जहां दो समुदाय आपस में भिड़ गए, जिसके बाद पूरे इलाके में तनाव फैल गया। पुलिस ने हिंसा करने वालों पर कार्रवाई करते हुए 20
से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। हिंसा में एक व्यक्ति के घायल होने की भी खबर है। पुलिस
ने कहा कि जुलूस के ऊपर कुछ लोगों ने पथराव शुरु कर दिया, जिससे लोगों में दहशत फैल गई और कुछ समय के लिए स्थिति
तनावपूर्ण हो गई। अब यह नियंत्रण
में है। इस मामले में 300 से अधिक अज्ञात
लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं।
हिंसा की ऐसी ही खबरें महाराष्ट्र
के औरंगाबाद और जालना से भी आईं जहां रामनवमी से पहले वाली रात दो समूहों के बीच हिंसक झड़प
हो गई। राम मंदिर के पास दो समूहों के बीच झड़प के बाद जब पुलिस कर्मियों ने
स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की तो 500 लोगों की भीड़ उग्र हो गई
और पत्थर तथा पेट्रोल से भरी बोतलें फेंकीं, जिसमें 10 पुलिसकर्मियों सहित कम से कम 12
लोग घायल हो गए। हिंसा
में एक व्यक्ति की मौत भी हो गई।
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पुलिस के मुताबिक, भीड़ को नियंत्रित करने के लिए चलाई गई गोली एक व्यक्ति को लगी, जिससे उसकी मौत हो
गई। इलाके में
सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं, फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है।
जले हुए वाहनों को घटना स्थल से हटा दिया गया है। लेकिन पुलिस अभी तक पुलिस किसी
को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। हिंसा भड़काने वालों को पकड़ने के लिए पुलिस की 10 टीमों का गठन किया गया है।
गुजरात का वडोदरा शहर भी रामनवमी
के जुलूस के दौरान हिंसा से अछूता नहीं रहा। यहां निकाले जा रहे दो जुलूसों पर
पत्थर फेंके गए, जिसमें कुछ लोगों
के घायल होने की खबर है। वड़ोदरा में पहली घटना फतेहपुरा इलाके में पंजरीगर
मोहल्ले के पास दोपहर में हुई, जबकि दूसरी घटना
शाम को कुंभारवाड़ा में हुई। फतेहपुरा में
पत्थर फेंकने के आरोप में 24 लोगों को हिरासत में लिया गया है। फतेहपुरा में
हुई हिंसा में एक व्यक्ति के घायल होने की खबर है। पुलिस के अनुसार कुंभारवाड़ा
में महिलाओं सहित कुछ लोग घायल हुए हैं।
कर्नाटक के हासन जिले में
भी रामनवमी जुलूस के दौरान दो समुदायों के बीच झड़प हो गई। इसमें दो लोगों को चाकू मार दिया गया। फिलहाल स्थिति नियंत्रण
में है। ऐसा ही तनावपूर्ण माहौल दिल्ली
में भी रहा, दिल्ली के जहांगीर पुरी में पुलिस के आदेश की अवहेलना करते हुए रामनवमी
का जुलूस निकाला। पिछले साल जहांगीरपुरी हनुमान जयंती समारोह के दौरान दंगे हुए
थे। दिल्ली मे 2020 में हुए दगों में जहांगीरपुरी बुरी तरह से प्रभावित हुआ थे।
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