केंद्र सरकार ने राजपथ और सेंट्रल विस्टा लॉन का नाम बदलकर कर्तव्य पथ करने का फ़ैसला किया है। मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से यह ख़बर आई है। यह मार्ग राष्ट्रपति भवन से रायसीना हिल पर विजय चौक और इंडिया गेट से दिल्ली के नेशनल स्टेडियम तक है। 'इंडिया टुडे' ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि एनडीएमसी ने 7 सितंबर को राजपथ और सेंट्रल विस्टा लॉन का नाम बदलकर कर्तव्य पथ करने के उद्देश्य से एक विशेष बैठक बुलाई है।
सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का उद्घाटन 8 सितंबर को होना है। सेंट्रल विस्टा मोदी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इस प्रोजेक्ट के तहत नया संसद भवन भी बनाया जा रहा है। सांसदों के लिए लॉन्ज, पुस्तकालय, संसद की अलग-अलग समितियों के कमरे, पार्किंग की जगह सहित कई तरह की सुविधाएं इस भवन में उपलब्ध होंगी। राजपथ देश के पहले गणतंत्र दिवस के जश्न का गवाह बना था। अंग्रेजों के वक्त यह सड़क किंग्सवे बुलाई जाती थी। 1947 में देश को आजादी मिली और आज़ादी के बाद किंग्सवे को राजपथ कहा जाने लगा।
कहा जा रहा है कि यह निर्णय उसके तहत लिया गया है जिसमें देश में ब्रिटिश उपनिवेश के निशान को ख़त्म कर देने की बात कही जाती है। खुद प्रधानमंत्री मोदी ऐसी बात कह चुके हैं। 15 अगस्त को लाल क़िले की प्राचीर से अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने औपनिवेशिक मानसिकता से जुड़े प्रतीकों को ख़त्म करने पर जोर दिया था।
इससे पहले जिस सड़क पर प्रधानमंत्री का निवास स्थित है, उसका नाम रेसकोर्स रोड से लोक कल्याण मार्ग में बदल दिया गया था।
इस साल जनवरी में जब सरकार ने इंडिया गेट की अमर जवान ज्योति की अग्नि को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर बनाए गए अमर जवान ज्योति से विलय कर दिया तो भी 'औपनिवेशिक निशानी' को लेकर बहस छिड़ी थी।
कुछ मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से ख़बर आई थी कि सरकार मानती है कि एक तो इंडिया गेट 'औपनिवेशिक इतिहास का प्रतीक' है और वहाँ 1971 में शहीद हुए सैनिकों के नाम भी अंकित नहीं हैं। हालाँकि, सरकार की ओर से ऐसा आधिकारिक बयान नहीं आया था।
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