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इंदिरा गांधी ने युद्ध के समय नेतृत्व किया: राजनाथ सिंह

दो दिन पहले ही सावरकर और महात्मा गांधी पर विवादित बयान देकर सुर्खियों में रहे राजनाथ सिंह ने अब इंदिरा गांधी की तारीफ़ की है। उन्होंने कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने न केवल कई वर्षों तक देश का नेतृत्व किया, बल्कि उन्होंने युद्ध के समय में भी नेतृत्व किया। 

बीजेपी और इसके मातृ संगठन आरएसएस के नेताओं द्वारा कांग्रेस के ऐसे किसी नेतृत्व की तारीफ़ अनपेक्षित लगती है। ख़ासकर मौजूदा दौर में तो यह बयान इसलिए चौंकाने वाला लगता है क्योंकि बीजेपी और आरएसएस 'कांग्रेस मुक्त' भारत की बात करते रहे हैं, देश की हर समस्या के लिए गांधी-नेहरू परिवार को ज़िम्मेदार ठहराते रहे हैं और ख़ुद प्रधानमंत्री मोदी भी सीधे नेहरू तक को कोसते रहे हैं।

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ऐसे में राजनाथ सिंह द्वारा इंदिरा गांधी की तारीफ़ करना चौंकाता है। हालाँकि यह कहा जा सकता है कि वह एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर बोल रहे थे इसलिए शायद यह उनकी मजबूरी रही हो, लेकिन क्या वह इंदिरा गांधी का ज़िक्र करने से बच नहीं सकते थे?

दरअसल, राजनाथ सिंह सशस्त्र बलों में महिलाओं की भूमिका पर शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ की एक संगोष्ठी में बोल रहे थे। वह देश में महिलाओं के योगदान का ज़िक्र कर रहे थे। उन्होंने रानी लक्ष्मी बाई से लेकर पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल तक का ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि भारत को राष्ट्रीय स्तर पर विकास में महिला शक्ति का उपयोग करने का सकारात्मक अनुभव है। उन्होंने सशस्त्र बलों में महिलाओं की भूमिका का भी ज़िक्र किया। 

राजनाथ सिंह ने कहा, 'महिलाओं को अब स्थायी कमीशन के लिए स्वीकार किया जा रहा है और निकट भविष्य में वे सेना की इकाइयों और बटालियनों की कमान संभालेंगी।' उन्होंने कहा, 'महिलाओं के अपने देश और लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए हथियार उठाने के कई उदाहरण इतिहास में दर्ज हैं। रानी लक्ष्मी बाई उनमें से सबसे अधिक सम्मानित हैं।' 

राजनाथ सिंह ने आगे कहा,

भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने न केवल कई वर्षों तक देश का नेतृत्व किया, उन्होंने युद्ध के समय भी ऐसा किया। और हाल ही में प्रतिभा पाटिल भारत की राष्ट्रपति और भारतीय सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर थीं।


राजनाथ सिंह

इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान भारत ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ 1971 का युद्ध जीता था जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का जन्म हुआ। 

rajnath says indira gandhi led country in times of war - Satya Hindi

कांग्रेस नेताओं की इस तरह तारीफ़ करना हाल के वर्षों में बीजेपी नेताओं में आम तौर पर नहीं देखा गया है। हालाँकि, प्रधानमंत्री मोदी जब तब लाल क़िले की प्राचीर से संबोधन में नेहरू की तारीफ़ कर चुके हैं। अटल बिहारी वाजपेयी के दौर में नेता दूसरे नेताओं की तारीफ़ करने से कतराते नहीं थे। मौजूदा दौर के शीर्ष स्तर के नेताओं में ऐसा अमूमन कम देखने को मिलता रहा है। इन नेताओं में राजनाथ सिंह भी शामिल हैं।

वही राजनाथ सिंह जो एक ताज़ा बयान के लिए विवादों में हैं। उन्होंने कह दिया कि सावरकर ने अंग्रेजों से माफ़ी महात्मा गांधी के कहने पर मांगी थी। सावरकर की जीवनी के विमोचन कार्यक्रम में उन्होंने जब यह बयान दिया था तब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी उनके बगल में थे। 

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राजनाथ सिंह ने कहा था, "सावरकर के ख़िलाफ़ झूठ फैलाया गया... महात्मा गांधी ने कहा था कि आप (सावरकर) मर्सी पिटीशन फ़ाइल करो। महात्मा गांधी के कहने पर उन्होंने मर्सी पिटीशन फ़ाइल की थी। और महात्मा गांधी ने अपनी तरफ़ से अपील की थी और उन्होंने कहा था 'सावरकर जी को रिहा किया जाना चाहिए। जैसे हम शांतिपूर्ण तरीक़े से आज़ादी हासिल करने के लिए आंदोलन चला रहे हैं वैसे ही सावरकर जी भी आंदोलन चलाएँगे।' यह बात महात्मा गांधी जी ने कही थी। लेकिन उनको बदनाम करने के लिए इस प्रकार की कोशिश की जाती रही कि उन्होंने मर्सी पिटीशन फ़ाइल की थी, क्षमा याचना मांगी थी, अपनी रिहाई की बात कही थी। ये सारी बातें ग़लत और बेबुनियाद हैं।"

rajnath says indira gandhi led country in times of war - Satya Hindi

सोशल मीडिया पर कुछ लोग कह रहे हैं कि आख़िरकार बीजेपी ने भी मान लिया कि सावरकर ने अंग्रेज़ों से माफ़ी मांगी थी। कुछ कह रहे हैं कि लंबे समय तक जेल में रहने वाले व जज के सामने भी नहीं झुकने वाले गांधी ने कभी माफी नहीं मांगी तो दूसरे को माफी मांगने के लिए कैसे कह सकते हैं। कुछ कह रहे हैं कि 1915 में जब तक गांधी देश में वापस लौटे थे तब तक सावरकर दो बार- 1911 और 1913 में दया याचिका दायर कर चुके थे तो उन्होंने गांधी के कहने पर कैसे माफी मांगी? 

तो सवाल है कि राजनाथ सिंह ऐसे बयान क्यों दे रहे हैं? उन्होंने पहले सावरकर पर ऐसा बयान दिया जिससे आरएसएस गदगद हो गया होगा, लेकिन अब उन्होंने इंदिरा गांधी की ऐसी तारीफ़ कर दी जो शायद संघ को चूभे!

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क़मर वहीद नक़वी
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