पाँच साल बाद अब एक बार फिर रेलवे का यात्री किराया बढ़ाया जा सकता है। इसके संकेत ख़ुद रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वी के यादव ने दिये हैं। उन्होंने कहा है कि रेलवे अपने यात्री किराये और माल ढुलाई शुल्क को 'युक्तिसंगत' करने की प्रक्रिया में है। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि मालभाड़े की दरें पहले से ही अधिक हैं। अब ऐसे में युक्तिसंग करने का सीधा मतलब है कि यात्री भाड़ा में ही फेरबदल होगा। हाल के दिनों में रेलवे की आर्थिक स्थिति की जो रिपोर्ट आई है उसमें उसकी कमाई को बढ़ाए जाने की ज़रूरत बताई गई है। पिछले संसद सत्र में पेश कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल यानी सीएजी की रिपोर्ट में भी रेलवे का मुनाफ़ा कम होने की बात कही गई थी।
रेलवे की आर्थिक हालत ज़्यादा अच्छी नहीं है और इसकी ख़र्च की तुलना में आमदनी काफ़ी कम हुई है। चेयरमैन यादव ने भी माना है कि रेलवे की आर्थिक स्थिति चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि अनुमानित ख़र्च 2.18 लाख करोड़ है जबकि आमदनी सिर्फ़ दो लाख करोड़ रुपये ही है। इसमें से 25 फ़ीसदी हिस्सा तो कर्मचारियों की पेंशन में चला जाता है।
बता दें कि वित्त वर्ष 2017-18 में रेलवे का ऑपरेटिंग रेश्यो यानी कमाई और ख़र्च का औसत 98.44 फ़ीसदी रहा है जो पिछले 10 साल में सबसे ख़राब है।
इसी बीच रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वी के यादव ने कहा, 'हम किराए और मालभाड़े की दरों को युक्तिसंगत बनाने जा रहे हैं। इसके बारे में कुछ विचार किया जा रहा है। मैं और अधिक नहीं बता सकता, यह एक संवेदनशील विषय है। जबकि माल भाड़ा पहले से ही अधिक है। इस संबंध में हमारा लक्ष्य है कि सड़क यातायात से रेलवे के प्रति आकर्षित किया जाए।'
रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने स्वीकार किया कि वित्तीय संकट से पार पाने के लिए माल ढुलाई ही सबसे बड़ा उपाय है, इसके लिए फ़िलहाल की स्थिति में कुछ किए जाने की गुँज़ाइश बहुत कम है। रेलवे के पास यात्री किराये में बढ़ोतरी करना ही तात्कालिक विकल्प है। हालाँकि, बाद में रेलवे के प्रवक्ता ने कहा, 'भाड़ा बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। किराए को तर्कसंगत बनाए जाने के बारे में विचार किया जा रहा है, इसका मतलब यह नहीं है कि किराया बढ़ाया जाएगा, हो सकता है कि किराया घट भी जाए।'
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