बीजेपी और मोदी, शाह जैसे पार्टी के बड़े नेता जिस राष्ट्रीय सुरक्षा के चुस्त होने का दंभ भरते रहे हैं उसी को अब कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने बीजेपी के ख़िलाफ़ हथियार बनाया है। राहुल गाँधी ने आतंकवादियों से तार जुड़े होने के आरोप में गिरफ़्तार किए गए जम्मू-कश्मीर के पुलिस अफ़सर डीएसपी दविंदर सिंह के मामले में सरकार से चार सवाल पूछे हैं। इसमें उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर हमला किया है और चुप्पी साधे रखने का आरोप लगाया है। उन्होंने ट्वीट किया, 'डीएसपी दविंदर सिंह ने भारत के ख़ून से सने 3 आतंकवादियों को अपने घर पर शरण दी और उन्हें दिल्ली ले जाते हुए पकड़ा गया। उसके ख़िलाफ़ 6 महीने के भीतर फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट द्वारा मुक़दमा चलाया जाना चाहिए और अगर दोषी पाये जाते हैं तो देशद्रोह के लिए कठोरतम सज़ा दी जाए।'
DSP Davinder Singh sheltered 3 terrorists with 🇮🇳 blood on their hands at his home & was caught ferrying them to Delhi.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 16, 2020
He must be tried by a fast track court within 6 months & if guilty, given the harshest possible sentence for treason against 🇮🇳.#TerroristDavinderCoverUp pic.twitter.com/gc2BlhBOwM
इस ट्वीट में राहुल ने चार सवाल भी पूछे हैं। उन्होंने पूछा है कि दविंदर सिंह पर प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और एनएसए चुप क्यों हैं? पुलवामा हमले में दविंदर सिंह की भूमिका क्या थी? कितने आतंकियों की उसने सहायता की है? उसे कौन और क्यों सुरक्षा दे रहा था?
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने दविंदर सिंह को आतंकवादियों के साथ पकड़ा था। दोनों आतंकी एक गाड़ी में श्रीनगर-जम्मू हाइवे से दिल्ली आ रहे थे। पुलिस के अनुसार आतंकी हिज़बुल मुजाहिदीन से संबंध रखते हैं। इस मामले में संसद हमले में फांसी दिए गए अफजल गुरु से भी संबंध की रिपोर्टें आ रही हैं और इस कारण इस मामले में पूरी जाँच की माँग की जा रही है।
इस मामले में प्रियंका गाँधी ने भी भारत की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई। उन्होंने ट्वीट किया, 'जम्मू-कश्मीर पर डीएसपी दविंदर सिंह की गिरफ़्तारी से कई सवाल उठते हैं जो परेशान करने वाले हैं और यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए काफ़ी संवेदनशील है। यह काफ़ी अजीब लगता है कि न केवल वह पकड़ से बचता रहा बल्कि उसे फ़िलहाल के हालात में विदेशी राजनयिकों को जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा जैसी काफ़ी संवेदनशील ज़िम्मेदारी दी गई...।'
DSP Davindar Singh's arrest in JK raises disturbing questions critical to India's national security. It seems rather odd that he not only evaded detection but was entrusted with extremely sensitive duties like escorting foreign envoys to J&K under the prevailing circumstances 1/2
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) January 16, 2020
बता दें कि दविंदर सिंह को संवेदनशील श्रीनगर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर तैनात किया गया था। उनकी गिरफ़्तारी और पूछताछ के बाद पुलिस ने श्रीनगर और दक्षिणी कश्मीर में कई जगहों पर छापे मारे थे। पुलिस का दावा है कि इस छापे में उसने सिंह और आतंकवादी द्वारा जमा किए गए बड़ी मात्रा में घातक हथियार और गोला-बारूद बरामद किए। पुलिस के अनुसार बादामी बाग़ कैंटोनमेंट में दविंदर सिंह के घर से पुलिस ने एके-47 राइफ़ल और दो पिस्तौल बरामद किए।
पड़ताल में यह भी सामने आया है कि दविंदर सिंह ने आर्मी के 15 कोर हेडक्वार्टर के सामने अपने आधिकारिक आवास पर आतंकवादियों को शरण दी थी। वहीं से शनिवार सुबह आतंकी गाड़ी में निकले थे और डीएसपी भी साथ थे। बताया जाता है कि वे दिल्ली जाने की योजना बना रहे थे। इसकी पड़ताल भी की जा रही है कि डीएसपी की यह यात्रा कहीं दिल्ली में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड से जुड़ी तो नहीं थी।
पुलिस अगस्त 2017 में उस पुलवामा हमले में दविंदर सिंह की भूमिका की भी पड़ताल कर रही है जिसमें चार पुलिसकर्मी मारे गए थे। पुलिस उस आरोप की भी जाँच कर रही है जिसमें यह आरोप लगाया गया है कि दविंदर सिंह ने फांसी पर लटका दिए गए अफजल गुरु और उन आतंकियों को मदद की थी जिन्होंने 2001 में संसद पर हमला किया था।
इतने गंभीर आरोप लगने के बावजूद दविंदर सिंह के ख़िलाफ़ केंद्र सरकार की ओर से बयान नहीं आने पर विपक्ष हमलावर है। सवाल तो यह भी उठाया जा रहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा होने के बावजूद उच्च स्तर से इस पर कोई बयान क्यों नहीं आ रहा है?
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