सूरत जिला अदालत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को उनकी कथित "मोदी उपनाम" टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ दायर 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में दो साल की जेल की सजा सुनाई है। लेकिन उन्हें फौरन ही जमानत मिल गई। अदालत ने 30 दिनों की अवधि के लिए अपने आदेश पर रोक लगा दी, ताकि कांग्रेस नेता हाईकोर्ट में अपील कर सकें। गांधी के खिलाफ भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने 13 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक लोकसभा चुनाव रैली में की गई टिप्पणी के लिए केस दर्ज कराया था।
कांग्रेस नेता ने कथित तौर पर रैली के दौरान कहा था, "सभी चोर, चाहे वह नीरव मोदी हों, ललित मोदी हों या नरेंद्र मोदी हों, उनके नाम में मोदी क्यों हैं।"
राहुल के खिलाफ यह फैसला ऐसे समय आया है, जब बीजेपी चारों तरफ से उन्हें घेरने में लगी है। भारत जोड़ो यात्रा निकालने वाले राहुल की छवि जनता में एकदम से बदल गई है। इसके बाद राहुल गांधी लंदन में कई कार्यक्रमों में भाषण देने गए। वहां उन्होंने भारतीय लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की आजादी, अदालत और मीडिया की आजादी से जुड़े मामले उठाए। बीजेपी ने राहुल को फौरन देशद्रोही घोषित कर दिया। संसद का बजट सत्र शुरू हुआ तो बीजेपी ने राहुल गांधी से उनके लंदन के बयानों पर माफी मांगने को कहा। कांग्रेस ने इससे साफ करा दिया। अब बीजेपी सांसद ही इस मुद्दे पर संसद को ठप कर रहे हैं।
शुक्रवार को सूरत के चीफ जुडिशल मैजिस्ट्रेट एचएच वर्मा ने मानहानि मामले में अंतिम दलीलें सुनीं थीं। राहुल गांधी के वकील किरीट पानवाला ने अदालत के समक्ष अंतिम बहस की। राहुल के वकील ने कहा था कि हम राहुल गांधी को सूरत जिला अदालत में 23 मार्च को उपस्थित रहने के लिए संदेश भेजेंगे। सबसे अधिक संभावना है, वह अदालत में मौजूद रहेंगे। राहुल उसके बाद आज सूरत कोर्ट में पहुंचे। राहुल अपना बयान दर्ज कराने के लिए अक्टूबर 2021 में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499 और 500 (मानहानि से निपटने) के तहत दायर मामले में सूरत की अदालत में आखिरी बार पेश हुए थे।
बहरहाल, बीजेपी का हमला जारी है। गुरुवार को संसद के बाहर अदालत के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि कांग्रेस गांधी के 'रवैये' के कारण 'पीड़ित' है। उन्होंने एएनआई से कहा - राहुल गांधी जो भी कहते हैं वह हमेशा कांग्रेस पार्टी और पूरे देश को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
राहुल गांधी अडानी के मुद्दे पर संसद के अंदर और बाहर काफी हमलावर रहे हैं। इसके बाद अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आई, जिसमें राहुल गांधी के आरोपों की पुष्टि हो गई। हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी समूह पर निवेशकों के सात धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए थे। अडानी समूह ने उनका जोरदार खंडन किया लेकिन उसके शेयर डूब गए। अडानी समूह के मालिक गौतम अडानी दुनिया के सबसे अमीर देशों की सूची में 3 नंबर से लुढ़क कर 20 से नीचे जा पहुंचे। संसद में जिस तरह से विपक्ष ने अडानी मुद्दे पर मोर्चा खोल रखा है, उससे साफ हो गया कि केंद्र की बीजेपी सरकार अडानी मुद्दे पर संसद में कोई चर्चा नहीं चाहती। इसीलिए उसने राहुल के लंदन भाषण को मुद्दा बनाया। अब कोर्ट का फैसला आने के बाद यही संदेश जा रहा है कि सरकार के इरादे राहुल को लेकर अच्छे नहीं हैं। हालांकि फैसला कोर्ट ने सुनाया है और उसमें सरकार की कोई भूमिका प्रत्यक्ष तौर पर नहीं होती है लेकिन जनता क्या सोचती है, वो महत्वपूर्ण है।
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