भारत में कोरोना से क्या 40 लाख लोगों की मौत हुई? और क्या ये मौतें सरकारी लापरवाही से हुई हैं? ऐसे सवाल भले ही कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भी उठ रहे थे, लेकिन डब्ल्यूएचओ के हवाले से न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा दी गई रिपोर्ट के बाद ये सवाल बेहद अहम हो गए हैं। इन्हीं सवाल से कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर हमला किया है।
राहुल ने न्यूयॉर्क टाइम्स की उस रिपोर्ट के स्क्रीनशॉट को ट्वीट करते हुए प्रधानमंत्री पर हमला किया है, 'मोदी जी न सच बोलते हैं, ना बोलने देते हैं।... मैंने पहले भी कहा था- कोविड में सरकार की लापरवाहियों से 5 लाख नहीं, 40 लाख भारतीयों की मौत हुई।...'
मोदी जी ना सच बोलते हैं, ना बोलने देते हैं।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 17, 2022
वो तो अब भी झूठ बोलते हैं कि oxygen shortage से कोई नहीं मरा!
मैंने पहले भी कहा था - कोविड में सरकार की लापरवाहियों से 5 लाख नहीं, 40 लाख भारतीयों की मौत हुई।
फ़र्ज़ निभाईये, मोदी जी - हर पीड़ित परिवार को ₹4 लाख का मुआवज़ा दीजिए। pic.twitter.com/ZYKiSK2XMJ
कांग्रेस नेता ने कोरोना से मौत के लिए 'सरकार की लापरवाही' को ज़िम्मेदार ठहराया है और मृतकों के परिवारों को 4-4 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की है।
वैसे, राहुल गांधी मोदी सरकार पर शुरुआत से ही लापरवाही बरतने का आरोप लगाते रहे हैं। जब कोरोना चीन और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में फैलना शुरू हुआ था तभी राहुल ने तैयारी के लिए आगाह किया था। कोरोना के ख़तरे के बावजूद मध्य प्रदेश में सरकार गिराने-बनाने के 'खेल' चलने, ट्रंप का स्वागत कार्यक्रम करने और समय पर कोरोना जाँच किट की व्यवस्था नहीं करने को लापरवाही क़रार दिया था।
उन्होंने कोरोना की दूसरी लहर में भी ऑक्सीज़न व दवाइयाँ कम पड़ने, अस्पतालों में व्यवस्था दुरुस्त नहीं होने, गंगा में लाशों के तैरने के मामले आदि में भी लापरवाही का आरोप लगाया था। इसके बाद कोरोना पीड़ितों को मुआवजा देने के मामले में भी वह ऐसे ही आरोप लगा रहे हैं।
राहुल की यह प्रतिक्रिया न्यूयॉर्क टाइम्स की उस रिपोर्ट पर आई है जिसमें दावा किया गया है कि भारत वैश्विक कोविड की मौत की गिनती को सार्वजनिक करने के डब्ल्यूएचओ के प्रयासों को रोक रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में पाया गया है कि पहले जारी आँकड़ों की तुलना में बहुत अधिक लोगों की मौत हुई है। रिपोर्ट के अनुसार 2021 के अंत तक कुल लगभग 1.5 करोड़ लोगों की मौत हुई होगी जबकि आधिकारिक तौर पर कुल मिलाकर 60 लाख लोगों की मौत बताई गई है। यानी आधिकारिक आँकड़ों से क़रीब 90 लाख ज़्यादा लोगों की मौत होने का अनुमान है जिसे रिपोर्ट नहीं किया गया है।
हालाँकि डब्ल्यूएचओ ने वह रिपोर्ट जारी नहीं की है, लेकिन अमेरिकी अख़बार ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि अतिरिक्त 90 लाख मौतों में से एक तिहाई से अधिक मौतें भारत में होने का अनुमान है।
आधिकारिक तौर पर मोदी सरकार लगभग 5 लाख 20 हज़ार लोगों की मौत होना बताती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि डब्ल्यूएचओ के आँकड़ों के अनुसार मृतकों की यह संख्या 40 लाख होने का अनुमान है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यह संख्या दुनिया में सबसे ज़्यादा होगी।
इस रिपोर्ट को डब्ल्यूएचओ ने इसलिए जारी नहीं किया है क्योंकि इसके रास्ते में कुछ व्यवधान हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर के विशेषज्ञों द्वारा 1 साल से अधिक समय तक अनुसंधान और विश्लेषण के बाद भी आँकड़े भारत की आपत्तियों के कारण महीनों से लंबित हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को अपने नागरिकों की मौत की संख्या पर आपत्ति है और उसने इसे सार्वजनिक होने से रोकने की कोशिश की है।
हालाँकि इस ख़बर पर भारत ने अब डब्ल्यूएचओ के मौत के आँकड़े तय करने के तौर-तरीक़ों पर सवाल उठाया है। भारत ने कहा है कि इस तरह के गणितीय मॉडलिंग का उपयोग करके इतने विशाल भौगोलिक आकार और जनसंख्या वाले राष्ट्र के लिए मृत्यु के आंकड़ों का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।
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