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सबसे ग़रीब परिवारों को सालाना 72 हज़ार रुपये देगी कांग्रेस : राहुल

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने सोमवार को कहा है कि कांग्रेस अगर सत्ता में आई तो देश के सबसे ग़रीब 20 फ़ीसदी परिवारों को हर साल 72 हज़ार रुपये दिए जाएँगे और ये रकम न्यूनतम आमदनी योजना के तहत दी जाएगी। प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर राहुल गाँधी ने कहा कि ये 72 हजार रुपये सबसे ग़रीब परिवारों के बैंक अकाउंट में सीधे डाल दिए जाएँगे। राहुल ने कहा कि कांग्रेस सभी को न्याय देने जा रही है। उन्होंने नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि अगर प्रधानमंत्री सबसे अमीर लोगों को पैसा दे सकते हैं तो कांग्रेस सबसे ग़रीब लोगों को पैसा दे सकती है। 

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कांग्रेस अध्यक्ष ने पत्रकारों से कहा कि उन्होंने तीन राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान यह वादा किया था कि उनकी पार्टी सत्ता में आई तो किसानों का कर्ज माफ़ कर देगी और कांग्रेस ने ऐसा कर दिखाया। राहुल ने कहा कि न्यूनतम आमदनी योजना से 5 करोड़ परिवारों यानी 25 करोड़ लोगों को फायदा मिलेगा। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस देश से ग़रीबी को ख़त्म कर देगी। 

उन्होंने यह भी कहा कि इसके लिए लगने वाले पैसे का भी हमने पूरा हिसाब कर लिया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हिंदुस्तान की ग़रीबी पर हमने फ़ाइनल वार किया है। 

मनरेगा योजना का जिक्र करते हुए राहुल गाँधी ने कहा कि हमने इससे 14 करोड़ लोगों को ग़रीबी से बाहर निकाला। उन्होंने आगे कहा कि हम सबसे ग़रीब लोगों की पहचान कर उन्हें ग़रीबी से हमेशा के लिए निकालना चाहते हैं। योजना के बारे में पूछे जाने पर राहुल ने कहा कि दुनिया के बेहतर अर्थशास्त्रियों से हमने इस योजना पर चर्चा की है। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम अपनी टीम के साथ इस पर काम कर रहे हैं। 

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इससे पहले राहुल गाँधी ने कहा था कि यदि कांग्रेस की सरकार बनी तो हर ग़रीब के खाते में एक न्यूनतम रकम डाली जाएगी। राहुल ने कहा था कि उनकी सरकार न्यूनतम आमदनी योजना पेश करेगी, जिसके तहत हर ग़रीब को एक न्यूनतम रकम दी जाएगी। 

माना जा रहा है कि कांग्रेस की इस योजना से उसे चुनाव में लाभ हो सकता है। 2013 में यूपीए सरकार ने भी न्यूनतम आमदनी योजना पर गंभीरता से विचार किया था, इस योजना के तहत हर ग़रीब आदमी को एक निश्चित रकम दिए जाने का प्रस्ताव था। लेकिन योजना को लागू करने से पड़ने वाले भारी आर्थिक दबाव के कारण यूपीए सरकार कोई अंतिम फ़ैसला नहीं कर पाई थी। 

कांग्रेस अध्यक्ष ने आज हुई प्रेस कॉन्फ़्रेंस में जोर देकर कहा कि कांग्रेस पार्टी लोगों को न्याय देने जा रही है। आज देश का बहुत बड़ा तबक़ा बेरोज़गारी से परेशान है। एनएसएसओ के हाल में आए आँकड़ों के हिसाब से देश में बेरोज़गारी की दर 45 सालों में सबसे ज़्यादा हो चुकी है। कई सर्वे में बताया गया है कि नोटबंदी, जीएसटी से उद्योग-धंधों की कमर टूटी है। ऐसे में राहुल गाँधी अगर कहते हैं कि हमारी सरकार सबसे ग़रीब लोगों के खाते में 72 हज़ार रुपये सालाना की रकम डालेगी तो इससे ग़रीब लोगों का प्रभावित होना स्वाभाविक है। न्याय शब्द का मतलब भी यही है कि समाज के सबसे कमज़ोर व्यक्ति के लिए भी न्यूनतम आमदनी सुनिश्चित हो। 

राहुल ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में यह भी कहा कि जनता ने मोदी सरकार के 5 साल में बहुत तकलीफ़ें झेली हैं। राहुल ने बहुत सोच-समझकर ही न्यूनतम आमदनी योजना की बात की है। राहुल गाँधी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर उनके 15 लाख रुपये हर भारतीय के खाते में आने के वादे को लेकर हमला करते रहे हैं और इसे जुमला बताते रहे हैं। ऐसे में राहुल अगर हर साल 72 हज़ार रुपये सालाना देने की बात कर रहे हैं और यह दावा भी कर रहे हैं कि योजना के लिए लगने वाले पैसे का पूरा हिसाब लगा लिया है तो इसे कम करके नहीं आँका जा सकता।

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बता दें कि मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले पेश किए गए अंतरिम बजट में छोटे किसानों के (2 हेक्टेयर तक की ज़मीन वाले) खाते में हर साल 6 हजार रुपये देने का फ़ैसला किया है। जबकि राहुल ने ग़रीब परिवारों को 72 हज़ार सालाना यानी 6 हज़ार रुपये महीना देने की बात कही है। चुनावी मौसम में राहुल गाँधी का यह एलान मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है।
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क़मर वहीद नक़वी
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