कांग्रेस सांसद राहुल गाँधी और विपक्ष के दूसरे 11 नेताओं को श्रीनगर हवाई अड्डे पर ही रोक लिया गया है और उन्हें वहाँ से वापस भेज दिया गया। राहुल के साथ कांग्रेस के ग़ुलाम नबी आज़ाद और आनंद शर्मा, सीपीआईएम के सीताराम येचुरी, सीपीआई के डी. राजा, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा, डीएमके के तिरुचि सिवा, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन और दूसरे नेता थे। इन्हें इस आधार पर वापस कर दिया गया कि राज्य की स्थिति सुधर रही है और ऐसे में उनका वहाँ जाना ठीक नहीं होगा।
जम्मू-कश्मीर सूचना और जन संपर्क विभाग ने ट्वीट कर कहा है, 'ऐसे समय जब सरकार जम्मू-कश्मीर के लोगों को सीमापार से संभावित आतंकवादी हमलों, चरमपंथियों और अलगाववादियों से बचाने की कोशिश कर रही हैऔर स्थिति सुधर रही है, वरिष्ठ राजनीतिक नेताओं को ऐसा कुछ करन से बचना चाहिए, जिससे हालात और बिगड़ें।'
ग़ुलाम नबी आज़ाद ने इसका जवाब देते हुए कहा, 'हम ज़िम्मेदार राजनीतिक दलों के लोग हैं। हम कोई क़ानून तोड़ने नहीं जा रहे थे। जम्मू-कश्मीर की स्थिति काफ़ी चिंताजनक है, 20 दिन हो गए, 20 दिनों से कोई ख़बर नहीं है।'
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सरकार दावा करती है कि यहाँ स्थिति सामान्य है, पर राजनीतिक दलों के नेताओं को भी नहीं जाने दे रही है। इसस बड़ा अंतरविरोध नहीं देखा। यदि सब कुछ सामान्य है तो हमें वहाँ जाने की इजाज़त क्यों नहीं दी?
ग़ुलाम नबी आज़ाद, नेता, कांग्रेस
इसके पहले जब राहुल गाँधी ने जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर चिंता जताई थी तो राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा था कि वहाँ स्थिति बिल्कुल सामान्य है, राहुल गाँधी को वहाँ ख़ुद आकर स्थिति देखनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने राहुल के लिए हवाई जहाज भेजने की पेशकश कर दी थी। कांग्रेस के इस नेता ने कहा था कि हवाई जहाज की ज़रूरत नहीं, बस इतना बताएँ कि मैं वहाँ कब आऊँ?।
राज्य में तमाम राजनीतिक दलों के लगभग सभी बड़े नेता जेल में हैं या नज़रबंद है। सुरक्षा के ज़बरदस्त इंतजाम हैं। विपक्ष के नेताओं को नहीं जाने दिया गया, फिर भी प्रशासन का दावा है कि सब कुछ सामान्य है।
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