'कांग्रेस निजीकरण के ख़िलाफ़ नहीं'
राहुल ने कहा कि जिन संपत्तियों को सरकार बेचने जा रही है, इन्हें बनाने में 70 साल लगे हैं और इसमें देश की जनता का पैसा लगा है। उन्होंने कहा कि लोगों के भविष्य को तीन-चार उद्योगपतियों को उपहार में दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस निजीकरण के ख़िलाफ़ नहीं है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन के तहत सरकार ने कहां से कितना पैसा जुटाने की बात कही है, उसका भी जिक्र किया।
केरल के वायनाड से सांसद राहुल ने कहा, “कांग्रेस के पास निजीकरण का लॉजिक था। सारा निजीकरण मोनोपॉली बनाने के लिए किया जा रहा है। पावर, टेलीकॉम, वेयरहाउसिंग, पोर्ट्स, माइनिंग, एयरपोर्ट्स...। आप लोग जानते हैं कि बंदरगाह किसके हाथ में हैं।” उन्होंने कहा, “केंद्र की इस योजना के बाद आम लोगों को रोज़गार नहीं मिलेगा। हम कहते हैं कि आप निजीकरण कीजिए लेकिन देश को नुक़सान मत पहुंचाइए।”
राहुल गांधी ने कहा कि हिंदुस्तान की पूंजी बेची जा रही है और यह देश के भविष्य पर आक्रमण है।
राहुल ने कहा, “जैसे-जैसे मोनोपॉली (एकाधिकार) बनती जाएगी, उतनी ही दर से आपको रोज़गार मिलना बंद हो जाएगा। आप स्कूलों-कॉलेजों में हो, इस देश में जो छोटे-मिडिल साइज बिजनेस हैं, वे सब बंद हो जाएंगे, ख़त्म हो जाएंगे। सिर्फ़ तीन-चार बिजनेस रहेंगे।”
#StopSellingIndia अभियान
कांग्रेस ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर इसके विरोध में अभियान चलाया है। कांग्रेस ने कहा है कि मोदी सरकार निजीकरण करने की होड़ में देश के साथ विश्वासघात कर रही है, राष्ट्रीय संपत्तियों को बेचा जा रहा है और मित्रों को मुनाफा पहुंचाया जा रहा है। पार्टी ने #StopSellingIndia के जरिये अपनी बात रखी है।
कांग्रेस ने तंज कसते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नारा दिया था- देश नहीं बिकने दूंगा लेकिन ये नहीं बताया कि कुछ नहीं बचने दूंगा। पार्टी ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये कहा है कि देश के हाईवे, रेलवे, हवाई अड्डों, खदानों, स्टेडियम, प्राकृतिक गैस पाइपाइन सहित और भी कई संपत्तियों को मोदी के मित्रों को बेचा जा रहा है और यह सबके साथ विश्वासघात है।
सिर्फ़ 7 साल लगे
कांग्रेस ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वह वीडियो जारी किया है, जिसमें वे कह रहे हैं कि मैंने कसम उठाई है, मैं देश नहीं बिकने दूंगा। कांग्रेस ने कहा है कि प्रधानमंत्री ने अपने वक्तव्य 'मैं देश नहीं बिकने दूंगा' से 'मैं सब कुछ बेच दूंगा' का सफर मात्र 7 साल में तय किया है और राष्ट्रीयकरण से निजीकरण की तरफ मोदी सरकार के बढ़ रहे क़दम देश के लिए विनाशकारी साबित होंगे।सरकार ही रखेगी मालिकाना हक़
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन योजना उन ब्राउनफ़ील्ड संपत्तियों के बारे में है, जहां पहले से निवेश हो रहा है, जहां संपत्तियां पूरी तरह या तो ख़राब हो गई हैं या उनका पूरी तरह मुद्रीकरण (मोनेटाइजे़शन) नहीं हुआ है या फिर उनका पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा है।
सरकार ने कहा है कि ब्राउनफ़ील्ड संपत्तियों का मुद्रीकरण इनमें निजी भागीदारी के जरिये किया जाएगा। निजी भागीदारी के तहत जो कंपनियां शामिल होंगी उन्हें एक निश्चित वक़्त के बाद इन्हें सरकार को सौंपना होगा। मुद्रीकरण से जो पैसा सरकार को मिलेगा, उसे बुनियादी ढांचे के निर्माण में काम लाया जाएगा।
ब्राउनफील्ड प्रोजेक्ट या संपत्तियां उन्हें कहते हैं जो या तो पहले से चल रहे हों या जिनपर कुछ काम हो चुका हो और जिनके विस्तार की ज़रूरत हो या फिर जिन्हें खरीदकर कोई नया काम शुरू किया जाए।
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