loader

देश के अन्नदाता ने अहंकार का सर झुका दिया: राहुल गांधी

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लेने की घोषणा पर राहुल गांधी ने कहा है कि देश के अन्नदाताओं ने सत्याग्रह से अहंकार का सर झुका दिया। इसके साथ ही उन्होंने सरकार के इस फ़ैसले को 'अन्याय के ख़िलाफ़ जीत' क़रार दिया है। 

तीनों कृषि क़ानूनों पर इस ताज़ा फ़ैसले को लेकर राहुल गांधी ने ट्वीट किया है। इसमें उन्होंने अपने पहले के एक वीडियो बयान को साझा किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि 'मेरे शब्द याद रखना सरकार को इन क़ानूनों को वापस लेना पड़ेगा'। 

इस वीडियो बयान में राहुल गांधी को यह कहते सुना जा सकता है कि 'मेरे शब्द याद रखिएगा, इन क़ानूनों को सरकार वापस लेने के लिए मजबूर होगी। याद रखिएगा जो मैंने कहा।'
मोदी सरकार आख़िरकार किसानों के आगे झुक गई है। कुछ ही महीनों में होने वाले कई विधानसभा चुनावों से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द कर दिया है। उन्होंने शुक्रवार सुबह इस बात का एलान राष्ट्र के नाम संबोधन में किया। किसान आंदोलन बीजेपी और मोदी सरकार के लिए जी का जंजाल बन चुका था। 
ताज़ा ख़बरें
हालाँकि आज की घोषणा में मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने किसानों की भलाई के लिए ये क़ानून बनाए थे और इनकी मांग कई सालों से की जा रही थी। लेकिन किसानों का एक वर्ग लगातार इसका विरोध कर रहा था, इसे देखते हुए ही सरकार इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में इन कृषि क़ानूनों को रद्द करने की प्रक्रिया को पूरा कर देगी। बता दें कि 29 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र भी शुरू हो रहा है। 
देश से और ख़बरें
बता दें कि कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ लगातार प्रदर्शन करता रहा है। राहुल गांधी इसके लिए बीजेपी को निशाना बनाते रहे हैं। राहुल ने कहते रहे हैं कि देश में किसानों का एक बड़ा वर्ग कृषि क़ानूनों के बारे में नहीं जानता है। राहुल ने कहा था कि अगर सभी किसान क़ानून के बारे में जान गए तो सारे देश में इसके ख़िलाफ़ प्रदर्शन होने लगेंगे। इस साल जनवरी में राहुल ने कहा था कि प्रधानमंत्री किसानों पर हमला कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया था कि पीएम तीन कृषि क़ानून लाकर भारतीय कृषि को बर्बाद करना चाहते हैं और इसे दो-तीन बड़े उद्योगपतियों के हाथ में सौंपना चाहते हैं। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें