राहुल गाँधी के नेतृत्व में अब कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल पीड़ित परिवार से मिलने हाथरस जाएगा। राहुल ने कहा है कि दुनिया की कोई ताक़त मुझे हाथरस के पीड़ित परिवार से मिलकर दुख बाँटने से नहीं रोक सकती है। राहुल गाँधी ने यह ट्वीट किया है। रिपोर्ट है कि साथ में प्रियंका गाँधी भी जाएँगी। हाथरस गैंगरेप पीड़िता की मौत के बाद चले घटनाक्रमों ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इसी बीच राहुल और प्रियंका ने दो दिन पहले यानी एक अक्टूबर को भी हाथरस जाने का प्रयास किया था लेकिन योगी सरकार ने पूरे हाथरस को ही सील कर दिया था और दोनों नेताओं के साथ ही समर्थकों को भी बाहर ही रोक दिया था। राहुल-प्रियंका समेत 203 कांग्रेस नेताओं के ख़िलाफ़ एफ़आईआर भी दर्ज कर दी थी।
दुनिया की कोई भी ताक़त मुझे हाथरस के इस दुखी परिवार से मिलकर उनका दर्द बांटने से नहीं रोक सकती।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 3, 2020
दो अक्टूबर को तो हाथरस में ऐसा माहौल रहा कि मीडियाकर्मी तक को भी गाँव में जाने नहीं दिया गया और उस गाँव के जाने वाले सारे रास्ते पूरी तरह सील रहे।
इसी बीच आज फिर से राहुल और प्रियंका के हाथरस जाने की योजना है। कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा है कि राहुल गाँधी के नेतृत्व में कांग्रेस सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल आज दोपहर 19 साल की पीड़िता के परिवार से मिलने हाथरस जाएगा।
पुलिस ने गुरुवार रात को राहुल-प्रियंका समेत 203 कांग्रेस नेताओं के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर दी। इसका कारण इन नेताओं और इनके समर्थकों द्वारा धारा 144 का उल्लंघन करना बताया गया। यह एफ़आईआर 153 ज्ञात और 50 अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ दर्ज की गई। हालाँकि, शाम को पुलिस ने राहुल और प्रियंका को बिना शर्त, बिना बॉन्ड भरे छोड़ दिया। राहुल ने बॉन्ड भरने से मना कर दिया था। इसके बाद पुलिस राहुल-प्रियंका को लेकर दिल्ली आ गई।
राहुल गाँधी से धक्का-मुक्की हुई थी
एक अक्टूबर यानी गुरुवार को ही दिन में उनके काफिले को ग्रेटर नोएडा में एक्सप्रेस-वे पर पुलिस ने रोक दिया था। इसके बाद राहुल और प्रियंका पैदल ही हाथरस की ओर बढ़ने लगे थे। प्रियंका और राहुल के साथ बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता भी मौजूद थे। डीएनडी पर भी भारी पुलिस बल तैनात था लेकिन पुलिस ने वहाँ से काफिले को आगे जाने दिया था।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कहा था कि पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया और राहुल गाँधी के साथ धक्का-मुक्की की।
बता दें कि इस पूरे मामले में खासी किरकिरी झेल रही योगी सरकार को आख़िरकार अपने अफ़सरों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करनी ही पड़ी। कुप्रबंधन का कारण बताते हुए सरकार ने शुक्रवार शाम को ज़िले के एसपी विक्रांत वीर, डीएसपी राम शब्द, इंस्पेक्टर दिनेश वर्मा, एसआई जगवीर सिंह और हेड कांस्टेबल महेश पाल को निलंबित कर दिया है।
इस कार्रवाई के लिए शुक्रवार को तब और दबाव बढ़ गया था जब पीड़िता के गाँव को पूरी तरह सील कर दिया गया था और किसी को भी न तो गाँव में जाने दिया गया और न ही गाँव से बाहर निकलने दिया गया था। मीडिया कर्मियों को भी गाँव में नहीं जाने दिया गया। आरोप तो ये भी लगे कि पुलिसकर्मी गाँव वालों को फ़ोन पर भी बाहर किसी से संपर्क भी नहीं करने दे रहे थे।
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