पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन, या पर्यावरण संकट के प्रति बीजेपी सरकार का रवैया कैसा है? इस सवाल का जवाब सरकार के पर्यावरणीय प्रभाव आकलन के मसौदे में मिल सकता है। इसी मसौदे पर राहुल गाँधी ने सरकार की तीखी आलोचना की है। उन्होंने तो इसे 'ख़ौफ़नाक उदाहरण' तक बता दिया और 'देश की लूट', 'सूट-बूट के मित्रों' जैसे शब्दों का प्रयोग किया। दरअसल, इस मसौदे को राहुल पर्यावरण संरक्षण के लिए ख़तरनाक और अपमानजनक मानते हैं और उनका कहना है कि इससे देश के संसाधनों की लूट होगी।
इसी को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने सोमवार को ट्वीट किया है और परोक्ष रूप से इस मसौदे को चुनिंदा उद्योगपतियों के लिए फ़ायदा पहुँचाने वाला बताया है।
EIA2020 ड्राफ़्ट का मक़सद साफ़ है - #LootOfTheNation
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 10, 2020
यह एक और ख़ौफ़नाक उदाहरण है कि भाजपा सरकार देश के संसाधन लूटने वाले चुनिंदा सूट-बूट के ‘मित्रों’ के लिए क्या-क्या करती आ रही है।
EIA 2020 draft must be withdrawn to stop #LootOfTheNation and environmental destruction.
दरअसल, पर्यावरण मंत्रालय ने ईआईए 2020 मसौदा की अधिसूचना जारी की है और इस पर जनता से सुझाव आमंत्रित किये। इसके तहत अलग-अलग परियोजनाओं के लिये पर्यावरण मंजूरी देने के मामले आते हैं। राहुल गाँधी का मानना है कि इसमें जो प्रावधान किए गए हैं उससे पर्यावरण को ख़तरे में डालकर उद्योगपतियों को मंजूरी दी जा सकती है। पर्यावरण को नुक़सान पहुँचने का मतलब यह होता है कि सबसे कमज़ोर तबक़ों को इसका सबसे ज़्यादा नुक़सान उठाना पड़ता है। इसे ऐसे समझा जा सकता है कि पर्यावरण के क़ायदों का उल्लंघन कर कहीं बाँध बनाया जाता है तो उस क्षेत्र में पानी भरने पर गाँव-खेत डूब जाते हैं या फिर जंगलों में पेड़ों की कटाई होने पर आदिवासियों की आजीविका छीन जाती है। कई प्रजातियाँ तो विलुप्त होती ही हैं।
राहुल गाँधी ने रविवार को ही कहा है कि जिस पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (ईआईए) 2020 मसौदा की अधिसूचना को सरकार ने जनता से फीडबैक के लिए जारी किया है, वह 'अपमानजनक' और 'ख़तरनाक' है। उन्होंने कहा कि इस मसौदे में जो प्रवधान हैं उससे वर्षों की लड़ाई के बाद पर्यावरण संरक्षण में हासिल किए गए फ़ायदों को बड़ा नुक़सान पहुँच सकता है। उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि इससे पूरे देश भर में पर्यावरणीय तबाही आ सकती है।
राहुल गाँधी ने एक फ़ेसबुक पोस्ट में लिखा, "इस पर विचार करें: हमारी 'स्वच्छ भारत' सरकार के प्रोपगेंडा के अनुसार, यदि 'रणनीतिक' ठप्पा लगाया गया तो कोयला खनन और अन्य खनिज खनन जैसे अत्यधिक प्रदूषणकारी उद्योगों को अब पर्यावरणीय प्रभाव आकलन की आवश्यकता नहीं होगी। न ही घने जंगलों और अन्य पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्रों से गुजरने वाले राजमार्ग या रेलवे लाइनों के लिए होंगी। इसके परिणामस्वरूप पेड़ों की बड़े पैमाने पर कटाई होगी, जिससे हज़ारों लुप्तप्राय प्रजातियों के आवास नष्ट हो जाएँगे।'
राहुल गाँधी ने दूसरे प्रावधानों पर लिखा है, 'और फिर यह भयानक विचार: पर्यावरण प्रभाव आकलन को काम पूरा होने पर मंजूरी दी जा सकती है! अर्थात, पहले से ही पर्यावरण को नष्ट कर देने वाली एक परियोजना का ईआईए किया जा सकता है।'
राहुल गाँधी ने कहा कि ईआईए 2020 का मसौदा एक आपदा है। उन्होंने कहा कि यह उन समुदायों की आवाज़ को चुप करने का प्रयास करता है जो पर्यावरणीय नुक़सान से सीधे प्रभावित होंगे।
राहुल ने कहा, 'मैं हर भारतीय से आग्रह करता हूँ कि वह उठे और इसका विरोध करे। हमारे युवा, जो हमेशा हमारे पर्यावरण की रक्षा के लिए हर लड़ाई में सबसे आगे रहे हैं, को इस मुद्दे को उठाना चाहिए और इसे अपना बनाना चाहिए।'
राहुल ने कहा कि यदि ईआईए 2020 को सरकार द्वारा अधिसूचित किया जाता है तो व्यापक पर्यावरणीय नुक़सान के दीर्घकालिक परिणाम हमारे और आने वाली पीढ़ियों के लिए विनाशकारी होंगे।
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