नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ दिल्ली के शाहीन बाग़ में पिछले एक महीने से चल रहे धरने के बाद देश के कई अन्य शहरों में भी महिलाएं धरने पर बैठ गई हैं। एक ओर इस क़ानून के ख़िलाफ़ आक्रोश बढ़ता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों की सरकारें इसे अपने राज्य में लागू करने से साफ़ इनकार भी कर चुकी हैं और इसके ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच चुकी हैं। ऐसे में केंद्र सरकार की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। इस बीच, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने इस क़ानून को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जोरदार सियासी हमला बोला है।
अमरिंदर सिंह ने कहा है कि यह क़ानून देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे के ख़िलाफ़ है। सिंह ने कहा कि भारत में जो कुछ हो रहा है वह वैसा ही है जैसा 1930 में जर्मनी में हुआ था, जब वहां एडोल्फ़ हिटलर का शासन था।
अमरिंदर ने कहा, ‘जर्मनी के लोग तब नहीं बोले और उन्हें पछताना पड़ा लेकिन हमें अब बोलना पड़ेगा जिससे हमें पछताना ना पड़े।' मुख्यमंत्री ने अकालियों से कहा कि वे नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़तरों को समझने के लिए हिटलर की जीवनी पढ़ें।
पंजाब की विधानसभा में नागरिकता संशोधन क़ानून को रद्द करने का प्रस्ताव शुक्रवार को पास किया गया। अमरिंदर सिंह ने इस दौरान विधानसभा में कहा, ‘वर्तमान में जो हो रहा है, वह बेहद दुखद है। हमने कभी ऐसा नहीं सोचा था। हम केवल राजनीति के लिए भाईचारे को तोड़ना चाहते हैं। हमने इतिहास से कोई सबक नहीं सीखा है।’
पंजाब की विधानसभा में इस क़ानून के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पास होने से बीजेपी को जोरदार झटका लगा है क्योंकि इस प्रस्ताव का बीजेपी की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने भी समर्थन किया है। जबकि शिअद ने संसद में इस क़ानून का समर्थन किया था। शिअद नेता बिक्रम मजीठिया ने कहा कि अगर लोगों को लाइन में लगकर यह साबित करना पड़े कि उन्होंने कहां जन्म लिया है तो हम ऐसे किसी भी क़ानून के ख़िलाफ़ हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार इस क़ानून के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाएगी। इससे पहले केरल और छत्तीसगढ़ की सरकार इस क़ानून के विरोध में सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुकी हैं।
अमरिंदर सिंह ने कहा कि उन्होंने कभी यह नहीं सोचा था कि भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में जहां पाकिस्तान से ज़्यादा मुसलिम आबादी है, वहां भी ऐसा हो सकता है।
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