सिविल सेवा परीक्षा में चयन को लेकर विवाद के बीच प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर का महाराष्ट्र में प्रशिक्षण मंगलवार को रोक दिया गया। इसके साथ ही उनको आईएएस एकेडमी में रिपोर्ट करना होगा। खेडकर पर कथित तौर पर विकलांगता प्रमाण पत्र के साथ जालसाजी करके सिविल सेवा परीक्षा पास करने का आरोप है।
लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए), मसूरी ने एक पत्र में कहा कि उसने पूजा दिलीप खेडकर के जिला प्रशिक्षण कार्यक्रम को रोकने का फैसला किया है और आगे की ज़रूरी कार्रवाई के लिए तत्काल वापस बुलाने का आदेश जारी किया है। महाराष्ट्र के अतिरिक्त मुख्य सचिव नितिन गद्रे द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी ने उन्हें वापस बुला लिया है, जिसके बाद खेडकर को उनके जिला प्रशिक्षण कार्यक्रम से मुक्त कर दिया गया है।
एलबीएसएनएए की ओर से 16 जुलाई को जारी आधिकारिक नोटिस के अनुसार, पूजा खेडकर को महाराष्ट्र में उनके प्रशिक्षण ड्यूटी से मुक्त कर दिया गया है। वह वर्तमान में महाराष्ट्र के वाशिम में सुपर न्यूमरेरी असिस्टेंट कलेक्टर हैं। उन्हें जल्द से जल्द अकादमी में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया है। उन्हें 23 जुलाई से पहले अकादमी में पेश होना होगा उसके बाद नहीं। यह निर्णय खेडकर के सिविल सेवा में चयन को लेकर उठे विवाद के कुछ दिनों बाद आया है।
पूजा खेडकर पर विकलांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग कोटा का दुरुपयोग करने का आरोप है। पिछले सप्ताह, केंद्र ने पूजा खेडकर की उम्मीदवारी की पुष्टि करने के लिए एक सदस्यीय समिति का गठन किया था।
एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि पुणे पुलिस पूजा खेडकर द्वारा पेश किए गए प्रमाण पत्रों की प्रामाणिकता की जांच करेगी।
सिविल सेवा परीक्षा में पूजा खेडकर के एटेम्प्ट के बारे में जो जानकारी सामने आई है उसमें पता चला है कि उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग को पेश हलफनामे में दृष्टिबाधित और मानसिक रूप से बीमार होने का दावा किया था। खेडकर द्वारा बताई गई विकलांगताओं का उपयोग उनके यूपीएससी चयन के दौरान विशेष रियायतें प्राप्त करने के लिए किया गया था। परीक्षा में कम अंक प्राप्त करने के बावजूद इन रियायतों के कारण उन्हें परीक्षा उत्तीर्ण करने में सफलता मिली।
पूजा खेडकर उस समय मीडिया की सुर्खियों में आ गईं, जब उन्होंने कथित तौर पर पुणे कलेक्टर कार्यालय से विशेष विशेषाधिकार मांगे, जो उनके पद के लिए मंजूर नहीं थे। इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें पुणे से वाशिम स्थानांतरित कर दिया।
खेड़कर ने कहा, 'यह एक मीडिया ट्रायल है और लोग इसे देख रहे हैं। सच्चाई आखिरकार सामने आएगी। भारतीय संविधान के अनुसार, किसी व्यक्ति को तब तक दोषी नहीं माना जा सकता जब तक कि उस पर लगे आरोप साबित न हो जाएं।' उनके पिता दिलीप खेडकर ने भी उनका बचाव किया और उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों का खंडन किया। उन्होंने कहा है कि मेरी बेटी ने कुछ भी गलत नहीं किया है और सभी को जाँच के अंतिम फैसले का इंतजार करना चाहिए।
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