कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे किसानों को बीजेपी के नेताओं, केंद्र सरकार के मंत्रियों ने बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी तंज कसते हुए आंदोलनजीवी जैसा शब्द गढ़ दिया। लेकिन इसके बाद भी किसानों के हौसले पस्त नहीं हुए और उन्होंने सरकार को झुकने को मज़बूर कर दिया।
याद दिलाना होगा कि बीते साल पंजाब के किसानों के दिल्ली के बॉर्डर्स पर पहुंचते ही ट्विटर पर खालिस्तानी और शाहीन बाग़ ट्रेंड कराया गया था। हरियाणा की बीजेपी सरकार ने बड़े-बड़े पत्थर बॉर्डर पर रखवा दिए थे, सड़कें खोद दी थीं, तमाम ज़ुल्म किए थे लेकिन बंजर धरती से भी अन्न उगा देने वाले किसानों को वह नहीं रोक सकी थी।
इस दौरान कई किसान नेताओं ने कहा था कि क्या वे पाकिस्तान से आए हैं जो उन्हें दिल्ली नहीं पहुंचने दिया जा रहा है।
किसानों को बताया खालिस्तानी
जब किसान दिल्ली के बॉर्डर्स पर पहुंच गए तो टीवी के एक वर्ग ने और सोशल मीडिया पर बैठे दक्षिणपंथियों ने किसानों को खालिस्तानी कहना शुरू कर दिया। ये वे लोग थे जो हर मौक़े पर मोदी सरकार के बचाव में आ जाते हैं। इन्होंने शाहीन बाग़ को लेकर भी जमकर गाली-गलौज ट्विटर पर की थी और किसान आंदोलन के दौरान भी यही करते रहे।
इसके बाद शुरू हुआ बीजेपी के बड़े नेताओं के बेहूदे बयानों का सिलसिला। इनमें से कुछ नेताओं के बयान पढ़िए।
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम ने कहा था कि किसान आंदोलन में खालिस्तान और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए जा रहे हैं और कट्टरपंथियों ने इस आंदोलन को हाईजैक कर लिया है। जबकि हरियाणा सरकार के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा था, ‘किसान का नाम आगे करके विदेशी ताकतें जैसे- चीन और पाकिस्तान या दुश्मन देश, हमारे देश को अस्थिर करना चाहते हैं।’
केंद्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि किसानों के प्रदर्शन में खालिस्तानियों की घुसपैठ हो चुकी है।
दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और सांसद मनोज तिवारी ने कहा था कि किसानों के आंदोलन में ऐसे कुछ लोगों और संगठनों की मौजूदगी, जिन्होंने शाहीन बाग़ में सीएए और एनआरसी का विरोध किया था, इससे पता चलता है कि टुकड़े-टुकड़े गैंग किसानों के आंदोलन में शाहीन बाग़ को दोहराने की कोशिश कर रहा है।
गृह मंत्रालय से जेड सिक्योरिटी हासिल करने वालीं कंगना रनौत ने किसान आंदोलन में शामिल होने आ रहीं बुजुर्ग महिला के लिए कहा था कि ये सौ रुपये लेने आ रही हैं।
नई दिल्ली सीट से सांसद और केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने किसानों को मवाली कह दिया था। जबरदस्त विवाद होने पर उन्हें अपने शब्द वापस लेने पड़े थे।
मोदी को बताया था युग पुरूष
राजस्थान की सुरक्षित दौसा सीट से सांसद जसकौर मीणा ने कहा था कि किसान आंदोलन में आतंकवादी बैठे हुए हैं, उन्होंने एके-47 ली हुई है और खालिस्तान का झंडा लगाया हुआ है। मीणा ने यह भी कहा था कि मोदी युग पुरूष हैं और इस देश को जगत गुरू बनाने की ओर ले जा रहे हैं।
हाल ही में बीजेपी के राज्यसभा सांसद राम चंद्र जांगड़ा ने आंदोलन कर रहे किसानों को दारूबाज़, निकम्मा और निठल्ला कहा था। इसके बाद उनका जमकर विरोध भी हुआ था।
इसके अलावा भी बीजेपी के कई नेताओं ने किसानों को खालिस्तानी, वामपंथी बताने से लेकर इस आंदोलन में चीन-पाकिस्तान का हाथ होने और विदेशी फंडिंग के आरोप लगा दिए थे। लेकिन 650 किसानों की शहादत पर वे चुप रहे।
अब जब सरकार को कृषि क़ानून वापस लेने पर मज़बूर होना पड़ा है तो बीजेपी नेताओं के इन बयानों को एक बार फिर सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है। लेकिन यह पूरी तरह साफ है कि किसानों को यह कामयाबी अपने संघर्ष के दम पर मिली है।
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