किसानों के इस आंदोलन को अधिकतर विपक्षी राजनीतिक दलों का भी समर्थन मिला। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी सहित कई अन्य दलों ने किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इन विधेयकों के ख़िलाफ़ एलान-ए-जंग का आह्वान किया है।
24 सितंबर से पंजाब में रेल रोको आंदोलन भी शुरू हो गया है और यह तीन दिन तक चलेगा। रेल रोको आंदोलन के पहले दिन किसान अमृतसर सहित कई जगहों पर रेलवे ट्रैक पर धरने पर बैठ गए। किसानों के आंदोलन को देखते हुए रेलवे ने 14 जोड़ी विशेष ट्रेनों को 26 सितंबर तक रद्द कर दिया है।
कृषि विधेयकों के लोकसभा और राज्यसभा से पास होने के बाद इन्हें राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने का इंतजार है जिससे ये क़ानून बन सकें। हालांकि विपक्ष ने राष्ट्रपति से दरख़्वास्त की है कि वे इन विधेयकों पर दस्तख़त न करें।
किसान आंदोलन को समझिए इस चर्चा के जरिये-
पंजाब में पहले से ही कई जगहों पर किसानों का धरना चल रहा है और ऐसे में जब मोदी सरकार इन विधेयकों को लेकर अड़ गई है तो इसका मतलब साफ है कि आने वाले दिनों में किसानों का आंदोलन और तेज होगा।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा है कि राज्य सरकार किसान संगठनों के साथ खड़ी है और धारा 144 को तोड़ने को लेकर किसानों के ख़िलाफ़ कोई एफ़आईआर दर्ज नहीं की जाएगी। लेकिन पड़ोसी राज्य हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी की सरकार इन विधेयकों के पक्ष में है और किसानों के आंदोलन के ख़िलाफ़ है, ऐसे में यहां टकराव के हालात बने हुए हैं।
कुछ दिन पहले कुरूक्षेत्र में किसानों पर हुए लाठीचार्ज के बाद से ही हरियाणा की सियासत गर्म है। किसानों पर लाठीचार्ज करने वालों पुलिसकर्मियों पर एफ़आईआर करने की मांग की जा रही है। पंजाब-हरियाणा के अलावा उत्तर प्रदेश सहित बाक़ी राज्यों की सरकारों ने भी किसानों के आंदोलन को देखते हुए पूरी तैयारियां की हुई हैं।
किसान आंदोलन पर देखिए, क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी. सिंह।
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