इससे पहले अदालत ने सॉलिसीटर जनरल से पूछा कि शिवलिंग कहां पाया गया। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि वाराणसी के डीएम इस मामले में सारी सुरक्षा व्यवस्था के जिम्मेदार होंगे लेकिन वो सुरक्षा व्यवस्था वजू और नमाज में बाधा नहीं बनना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट में मस्जिद की अंजुमन इंतजामिया कमेटी की ओर से पिछले हफ्ते याचिका दायर की गई थी। याचिका में मस्जिद में उस दौरान चल रहे सर्वे और वाराणसी की एक निचली अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की गई थी। हालांकि अब मस्जिद में सर्वे और वीडियोग्राफी का काम पूरा हो चुका है। सर्वे की रिपोर्ट 17 मई को दी जानी थी लेकिन कोर्ट कमिश्नर ने दो दिन का समय मांगा है। वाराणसी की कोर्ट ने दूसरे कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा को शिवलिंग की जानकारी सार्वजनिक करने पर हटा दिया है।याचिका में कहा गया है कि 2021 में कुछ लोगों द्वारा वाराणसी की एक निचली अदालत में दायर की गई याचिका 1991 के पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन करती है और यह एक विवाद को जिंदा करने की कोशिश है। बता दें कि इस याचिका पर ही निचली अदालत ने सर्वे का आदेश दिया था।
उधर, ज्ञानवापी मस्जिद में सोमवार को सर्वे का काम पूरा हो गया था। सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि ज्ञानवापी मस्जिद में नंदी के सामने शिवलिंग मिला है जबकि मुसलिम पक्ष ने कहा है कि शिवलिंग मिलने की बात गलत है। वो एक फव्वारा है। कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा ने कथित शिवलिंग पाए जाने की जानकारी मीडिया को दी थी। अदालत ने मंगलवार को उन्हें इसी वजह से हटा दिया कि कोर्ट को जानकारी देने से पहले मीडिया को क्यों जानकारी दी गई।
सर्वे पूरा होने के बाद भी ज्ञानवापी मस्जिद और इससे सटे काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी रखी गई है। प्रशासन ने पूरे इलाके को सील कर दिया है।
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