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निलंबित बीजेपी विधायक राजा सिंह

पैगंबर विवादः राजा पर एक्शन बीजेपी की मजबूरी क्यों

पैगंबर पर गलत टिप्पणी के आरोपी आंध्र प्रदेश के विधायक टी. राजा सिंह को बीजेपी ने मंगलवार 23 अगस्त को सस्पेंड कर दिया है। राजा सिंह ऐसे तीसरे नेता हैं, जिन पर बीजेपी ने पैगंबर पर गलत टिप्पणी के मामले में कार्रवाई की है। इससे पहले नूपुर शर्मा को प्रवक्ता पद से हटाया जा चुका है और नवीन जिन्दल को पार्टी से निकाला जा सकता है। पार्टी इस बात से परेशान है कि पैगंबर पर टिप्पणी न करने की हिदायत के बावजूद कुछ लोग टिप्पणी करके पार्टी के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुश्किल पैदा कर रहे हैं।

अभी ज्यादा दिन नहीं बीते हैं जब मई और जून 2022 में बीजेपी की छीछालेदर इसी मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुई। एक अंग्रेजी चैनल पर तत्कालीन पार्टी प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने बेवजह पैगंबर मोहम्मद साहब पर टिप्पणियां की। पार्टी के मीडिया सेल से जुड़े नेता नवीन जिन्दल ने और भी उग्र बयान इसी कड़ी में दे डाला। सोशल मीडिया के जरिए यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठा। कतर ने फौरन भारतीय राजदूत को तलब कर लिया। करीब 15 मुस्लिम देशों ने इसका जोरदार विरोध किया। भारत के विश्वसनीय पार्टनर सऊदी अरब और ईरान ने भी नाराजगी दिखाने कसर नहीं छोड़ी। 

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मुश्किल से शांत हुआ था मामला

भारत ऐसी अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं कर रहा था। तब उसे नूपुर शर्मा और नवीन जिन्दल को फ्रिंज एलिमेंट्स (छुटभैये तत्व) कहा था। विदेश मंत्रालय और उसके राजदूतों को बयान देना पड़ा कि पैगंबर के बारे में जिन लोगों की टिप्पणी आई है, वे भारत के विचार नहीं हैं। वे फ्रिंज एलिमेंट्स के बयान है। भारत सरकार इस मामले में कार्रवाई करेगी और दोबारा ऐसा नहीं होने देगी। भारत सरकार के इस बयान और नूपुर, नवीन पर कार्रवाई के बाद मामला शांत हो गया। 

कानून व्यवस्था का मसला

जिस समय पैगंबर पर टिप्पणी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय माहौल भारत के खिलाफ जा रहा था, वहीं इसी मुद्दे पर खासकर यूपी के कई शहरों और देश के अन्य भागों में कई जगह दंगे भी हुए थे। उन दंगों से निपटने के लिए यूपी में बुलडोजर भेजे गए। इलाहाबाद में एक एक्टिविस्ट की पत्नी का घर गिरा दिया गया। कानपुर में भी ऐसी कार्रवाई हुई। गुजरात और मध्य प्रदेश में भी दंगों से निपटने के लिए बुलडोजर चलाए गए। इस दौरान बीजेपी शासित राज्यों पर खुला आरोप लगा कि वो मुसलमानों को परेशान कर रही है, उन पर एकतरफा कार्रवाई कर रही है। लेकिन तमाम मुस्लिम देश इस मुद्दे पर चुप रहे। उन्होंने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। 

बीजेपी को यह अच्छी तरह समझ आ गया कि सऊदी अरब समेत तमाम मुस्लिम देश उसके अंदरुनी मामलों में नहीं बोलेंगे लेकिन पैगंबर या उनके परिवार पर टिप्पणी होने की स्थिति में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विरोध झेलना पड़ेगा।

बीजेपी यह कहती रही है कि उसके शासन में दंगे नहीं होते हैं। लेकिन यह वाहवाही भी धरी रह गई। देश में ऐसा बड़ा तबका है जो देश में शांति चाहता है ताकि भारत के आर्थिक हालात सुधरें। बीजेपी भी यही नारा देती है लेकिन अगर दंगे होते रहे तो देश में तरक्की की रफ्तार रुकी रहेगी। किसी भी देश के विकास के लिए जरूरी है कि वहां हर समुदाय और जाति के लोग आपस में मिलजुल कर रहें। ऐसे में बीजेपी राजा सिंह का बोझ ढोने को तैयार नहीं है।

बीजेपी की गाइडलाइंस

नूपुर शर्मा कांड होने के बाद बीजेपी ने अपने नेताओं और खासकर प्रवक्ताओं के लिए एक गाइडलाइन बनाई थी, जिसका पालन उन्हें करना था। बीजेपी ने अपने नेताओं और प्रवक्ताओं से कहा था कि किसी भी धर्म, उसके प्रतीकों या धार्मिक शख्सियतों की आलोचना करने से दूर रहें। गरमागरम बहसों के दौरान बीजेपी के पैनलिस्टों को सीमा पार करने से मना किया गया है। उनसे अपनी भाषा को संयमित रखने और उत्तेजित न होने का आग्रह किया गया है। पार्टी ने  कहा कि बिना उकसावे के वे पार्टी की विचारधारा या आदर्शों का उल्लंघन नहीं करें। 

बीजेपी के अधिकांश बड़े नेता इस गाइडलाइंस का पालन करते हैं। यहां तक की आरएसएस के जो चेहरे टीवी पर दिखते हैं, वे भी संयमित भाषा का ही इस्तेमाल करते हैं। 

राजा सिंह क्यों फंसे

बीजेपी विधायक राजा सिंह को पार्टी में उग्र विचारों का माना जाता है। कई बार राजा सिंह जैसे नेता मीडिया के दबाव में या मीडिया में बने रहने के लिए भी ऐसे बयान दे देते हैं। आंध्र प्रदेश में चुनाव जीतने के लिए बीजेपी हर कोशिश कर रही है। वो वहां हिन्दू-मुसलमान कार्ड भी खेल रही है। बीजेपी की मजबूरी ये है कि उसके प्रदेश अध्यक्ष बंदी संजय कुमार से ज्यादा राजा सिंह लोकप्रिय हैं। बीजेपी की हिन्दू-मुसलमान की रणनीति को और मुखर करने के लिए राजा सिंह ने पैगंबर पर टिप्पणी की, जबकि यह कोई अवसर नहीं था। यही करके वे फंस गए। उन्हें पार्टी की गाइडलाइन का पालन करते हुए ही हिन्दू-मुसलमान करने की कथित अनुमति है। 

Prophet Controversy: Why BJP compel to act on Raja Singh - Satya Hindi

ओवैसी का बयान

इस मुद्दे पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी मुसलमानों से राजनीतिक तौर पर लड़े, इस तरह तुच्छ हरकत करके नहीं। ओवैसी ने कहा कि बीजेपी मुसलमानों और पैगंबर से नफरत करती है तो करे लेकिन भारत के सामाजिक ताने-बाने को न तोड़े। अगर बीजेपी और पीएम मोदी राजा सिंह जैसों की टिप्पणी को पसंद नहीं करते हैं तो उन्हें इस पर बोलना चाहिए। ओवैसी का बयान आने के बाद बीजेपी को राजा सिंह पर कार्रवाई करना पड़ी। बीजेपी और केंद्र सरकार ओवैसी की सीमाओं को जानती हैं। ओवैसी के बयान के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह मामला उठना ही था। इसलिए बीजेपी ने फौरन कार्रवाई करके समझदारी दिखा दी है।  

नासमझ नेता

बीजेपी के निचले स्तर के नेता यह नहीं समझ पा रहे हैं या बीजेपी उनको संदेश नहीं भेज पा रही है कि बीजेपी ने जो भी राजनीतिक उपलब्धि हासिल की है, वो किसी पैगंबर पर टिप्पणी करके हासिल नहीं की है। उसका भारतीय मुसलमानों के विरोध में रुख ने ही उसे हिन्दुत्ववादी पार्टी के रूप में स्थापित कर दिया है। इसलिए वो मात्र मुसलमानों से बेरुखी दिखाकर ही अपने इस एजेंडे को पूरा कर सकती है। जबकि पैगंबर पर टिप्पणी उसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। नूपुर शर्मा की टिप्पणी के बाद जिस तरह दंगे हुए थे, उससे इसी का संकेत मिलता है। अगर राजा सिंह जैसे तत्व बयान देते रहे तो बीजेपी को खराब अंदरुनी हालात का सामना भी करना पड़ सकता है। 
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क़मर वहीद नक़वी
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