राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने न्यायपालिका से जुड़े लोगों के तमाम विरोधोें को दरकिनार करते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस संजीव खन्नाको सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त कर दिया है। बार काउंसिल ने कहा है कि उसके सदस्य सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम से इस मुद्दे पर मुलाक़ात करेंगे। काउंसिल का यह भी कहना है कि इस नियुक्ति से वरिष्ठ जज ख़ुद को अपमानित महसूस करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस संजय कृष्ण कौल ने बुधवार को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई समेत कॉलिजियम को एक पत्र लिखकर अपनी आपत्ति दर्ज़ कराई। इसके पहले दिल्ली हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज कैलाश गंभीर ने भी राष्ट्रपति को चिट्ठी लिख कर इसी तरह का विरोध दर्ज कराया था।
दरअसल, 12 दिसंबर को हुई कॉलिजियम की बैठक में दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस राजेेंद्र मेनन और राजस्थान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस प्रदीप नंदराजोग को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त करने के लिए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई को सिफ़ारिश भेजने का फ़ैसला किया था। इसके बाद कॉलिजियम का स्वरूप बदल गया। इसके बाद 10 जनवरी को कॉलिजियम ने दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस माहेश्वरी के नाम की सिफ़ारिश की।
न्यायपालिका से जुड़े लोगों में इस पर रोष था। वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने पूछा था कि क्या मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने बीते साल इसी के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने भी कॉलिजियम के इस फ़ैसले को 'अक्षम्य भूल' क़रार दिया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में जस्टिस जे चेमालेश्वर (फ़ाइल फ़ोटो)
जस्टिस माहेश्वरी उस समय सुर्खियों में आ गए थे जब दीपक मिश्रा मुख्य न्यायाधीश थे और माहेश्वरी सीधे केंद्र सरकार के संपर्क में थे। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस जे चेमालेश्वर ने इसका विरोध किया था। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश और दूसरे जजों को चिट्ठी लिख कर यह मुद्दा उठाया था और इस तरह केंद्र सरकार से सीधे संपर्क रखने को ग़लत क़रार दिया था। उन्होंने जस्टिस माहेश्वरी की भी आलोचना की थी। जस्टिस माहेश्वरी ने क़ानून मंत्रालय की शिकायत पर अपने एक पूर्ववर्ती जज के ख़िलाफ़ जाँच शुरू कर दी थी, जिनके बारे में कहा गया था कि उन पर लगे आरोप पूरी तरह बेबुनियाद थे।
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