जाने-माने वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण के तहलका अवमानना मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले को सुनवाई के लिए दूसरी बेंच के सामने भेजने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अब इस मामले में सुनवाई के लिए 10 सितंबर की तारीख़ तय की है।
प्रशांत भूषण की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट की बेंच से कहा कि इस मामले में कई संवैधानिक प्रश्नों का जवाब तय होना ज़रूरी है। राजीव धवन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को अवमानना मामले में संविधान के अनुच्छेद 129 और 215 के तहत स्वत: संज्ञान लेकर कार्यवाही करने की जो शक्ति मिली है क्या वो संविधान के अनुच्छेद 19 (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) से अलग है। इसके साथ ही राजीव धवन ने 10 संवैधानिक प्रश्नों की एक सूची भी सुप्रीम कोर्ट को सौंपी।
भूषण ने तहलका मैगजीन को 10 सितंबर को दिए एक इंटरव्यू में भारत के पिछले कुछ मुख्य न्यायाधीशों (सीजेआई) पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच में शामिल जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि वो 2 सितंबर को रिटायर हो रहे हैं, उनके पास वक्त नहीं बचा है जिससे वो संवैधानिक प्रश्नों के ऊपर सुनवाई नहीं कर सकेंगे। बेहतर ये होगा कि मुख्य न्यायाधीश इन प्रश्नों के लिए नई बेंच का गठन करें।
सीनियर एडवोकेट राजीव धवन ने कोर्ट से कहा कि ये मामला संविधान पीठ को सौंपा जाना चाहिए क्योंकि इस मामले में कई संवैधानिक प्रश्नों का निर्धारण होना आवश्यक है।
तहलका के संपादक तरुण तेजपाल की तरफ से पेश होते हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा, “ये महत्वपूर्ण प्रश्न का निर्धारण होना चाहिए कि आप (सुप्रीम कोर्ट) बड़े या कानून? हम आएंगे और जाएंगे लेकिन संस्था की गरिमा बरकरार रहनी चाहिए।’’
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