मशहूर वकील प्रशांत भूषण ने अदालत की अवमानन मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करते हुए कहा है कि उन्होंने ज़ुर्माना भर दिया, इसका मतलब यह नहीं कि उन्होंने अदालत के फ़ैसले को स्वीकार कर लिया है।
याद दिला दें कि मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस. ए. बोबडे की अवमानना के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें दोषी मानते हुए एक रुपया का दंड भरने को कहा। उन्होंने वह दंड भर दिया।
रिट पिटीशन
प्रशांत भूषण ने पत्रकारों से कहा, मैंने दंड भर दिया, इसका मतलब यह नहीं है कि मैंने फ़ैसले को स्वीकार कर लिया। मैंने अवमानना मामले में रिट पिटीशन दायर की है और फिर से सुनवाई की अपील की है।उन्होंने कहा कि उन्हे कई लोगों ने दंड भरने के लिए पैसे दिए हैं, इन पैसों से एक कोष का गठन किया जाएगा ताकि असहमति रखने वालों पर मुक़दमा चले तो उनकी आर्थिक मदद की जा सके।प्रशांत भूषण ने कहा, 'राज्य असहमति की हर आवाज़ को चुप कराने की कोशिश कर रहा है। इस कोष के पैसे का इस्तेमाल उन लोगों की मदद में किया जाएगा जो राज्य के उत्पीड़न के शिकार हैं।'
याद दिला दें कि जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा, जस्टिस बी.आर.गवई और जस्टिस कृष्णा मुरारी की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि अगर प्रशांत भूषण ने ये जुर्माना 15 सितंबर तक नहीं भरा तो उन्हें तीन महीने की जेल होगी और वे तीन साल तक वकालत नहीं कर पायेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के ख़िलाफ़ जो प्रेस कॉन्फ्रेन्स की थी, वह नहीं करनी चाहिए थी और न्यायाधीशों को अपनी बात रखने के लिए प्रेस के पास नहीं जाना चाहिए था।
मामला यह है कि प्रशांत भूषण ने जून महीने में सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश को लेकर सोशल मीडिया साइट ट्विटर पर दो ट्वीट लिखे थे। जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई की थी। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था।
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