जेएनयू पर हमले के 6 दिन बाद भी किसी की गिरफ़्तारी नहीं होने से आलोचना की शिकार दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि उसने वॉट्सऐप ग्रुप के 60 में से 37 लोगों की पहचान कर ली है। इनमें से 10 लोग बाहरी हैं, यानी जेएनयू के नहीं हैं। पुलिस इन लोगों को जल्द ही गिरफ़्तार करने की उम्मीद जता रही है।
बता दें कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय परिसर में बीते रविवार को हुए हमले के पहले एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाया गया था, जिसका नाम था, ‘यूनिटी अगेन्स्ट लेफ़्ट’। जेएनयू पर हमले की योजना बनाई गई थी और इस ग्रुप पर शेयर की गई थी। हमले के ठीक पहले किसे कितने लोगों के साथ कहाँ इकट्ठा होना है, यह जानकारी भी शेयर की गई थी। हमले के बाद इस पर खुशी जताई गई थी और लोगों को पीटने की बात कही गई थी।
पुलिस का दावा है कि जेएनयू के छात्रों में से ही कुछ ने बाहरी लोगों को परिसर में दाखिल होने में मदद की थी। उसका यह भी कहना है कि बाहर से लोग बुलाए गए थे और सुनियोजित तरीके से परिसर में पहुँचाए गए थे।
वॉट्सऐप ग्रुप पर कई लोगों के नाम हैं, जो बीजेपी की छात्र ईकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े हुए हैं। एबीवीपी की जेएनयू ईकाई के प्रमुख मनीष जांगिड़ ने कहा कि उनका मोबाइल फ़ोन टूट गया था, जब उन्होंने उसकी मरम्मत कराई तो देखा कि उनका नाम उस ग्रुप में शामिल है। उन्हें नहीं पता कि किसने कब और क्यों उनका नाम ग्रुप में डाला।
जेएनयू के वाइस चांसलर
एम. जगदीश कुमार की भूमिका पहले ही संदेह के घेरे में रही है। अब एबीवीपी के सदस्यों के नाम नहीं ले रहे हैं। वे कह रहे हैं कि यह काम बाहरी लोगों ने किया होगा। उन्होंने कहा, ‘हॉस्टल में कई बाहरी छात्र ग़ैरक़ानूनी ढंग से रह रहे हैं। उन्होंने शायद कोई गड़बड़ी की होगी क्योंकि उन्हें विश्वविद्यालय से कोई मतलब नहीं हैं।’
लेकिन वाइस चांसलर ने ही पहले कहा था कि जो लोग फ़ीस वृद्धि के ख़िलाफ़ आन्दोलन कर रहे हैं, उन्होंने यह हमला भी किया था। उनके कहने का मतलब यह है कि वामपंथी छात्रों ने यह मारपीट की है। लेकिन अब जब एबीवीपी के लोगों के नाम सामने आ रहे हैं, कुमार कह रहे हैं कि बाहर के लोगों ने यह किया होगा।
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