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विपक्ष शासित राज्यों में भी जी20 बैठकें सहकारी संघवाद का प्रमाण: पीएम

विपक्ष लगातार आरोप लगाता रहा है कि मोदी सरकार संघवाद पर हमले कर रही है और राज्यों को कमजोर कर रही है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने इन आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने इसके लिए जी20 की बैठकों का उदाहरण दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मनीकंट्रोल.कॉम से कहा है कि तथ्य यह है कि जी20 की बैठकें देश भर में- 60 शहरों में 220 से अधिक बैठकें हो रही हैं और यह सरकार के सहकारी संघवाद में दृढ़ विश्वास का प्रमाण है।

उन्होंने इंटरव्यू में कहा, 'मैंने देश भर के वैश्विक नेताओं के साथ कई कार्यक्रमों की मेजबानी की है। वैश्विक उद्यमिता शिखर सम्मेलन हैदराबाद में आयोजित किया गया। भारत ने गोवा में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन और जयपुर में भारत-प्रशांत द्वीप सहयोग शिखर सम्मेलन की मेजबानी की। जो पैटर्न आप यहां देख सकते हैं वह यह है कि यह प्रचलित दृष्टिकोण से एक बड़ा बदलाव है।'

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साक्षात्कार में प्रधानमंत्री ने कहा, 'मैंने जो उदाहरण उद्धृत किए हैं उनमें से कई उन राज्यों के हैं जहां उस समय गैर-एनडीए सरकारें थीं। जब राष्ट्रीय हित की बात आती है तो यह सहकारी संघवाद और द्विदलीयता में हमारे दृढ़ विश्वास का भी प्रमाण है। यह वही भावना है जिसे आप हमारे जी20 प्रेसीडेंसी में भी देख सकते हैं।' 

प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान इसलिए अहम है कि विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर राज्यों को कमजोर करने का आरोप लगा रहा है। इंडिया और भारत के विवाद को लेकर भी ऐसा ही आरोप लगा। जी20 के लिए राष्ट्राध्यक्षों को भेजे गए आमंत्रण में अब 'President of Bharat' इस्तेमाल किए जाने पर कांग्रेस ने संघवाद पर हमला क़रार दिया है।

इसको लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, '...राष्ट्रपति भवन ने 9 सितंबर को जी20 रात्रिभोज के लिए सामान्य 'President of India' की जगह 'President of Bharat' के नाम पर निमंत्रण भेजा है। अब, संविधान में अनुच्छेद 1 में पढ़ा जाएगा: 'भारत, जो India था, राज्यों का एक संघ होगा।' लेकिन अब इस 'राज्यों के संघ' पर भी हमला हो रहा है।

बता दें कि विपक्ष अक्सर मोदी सरकार पर सत्ता को केंद्रीकृत करने और संघवाद को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाता रहा है। जीएसटी राजस्व के बंटवारे को लेकर, और केंद्र द्वारा नियुक्त राज्यपालों और राज्यों में विपक्षी सरकारों के बीच बढ़ते टकराव को लेकर भी संघवाद को कमजोर किए जाने का आरोप लगता रहा है।

लेकिन जी20 की भारत की अध्यक्षता को लोकतंत्रीकरण की कवायद बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने देश भर में आयोजित विभिन्न बैठकों के माध्यम से लोगों, विशेषकर युवाओं की क्षमता निर्माण में निवेश किया है।

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पीएम ने कहा, 'हमारे जी20 प्रेसीडेंसी के अंत तक सभी 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के 60 शहरों में 220 से अधिक बैठकें हो चुकी होंगी। लगभग 125 राष्ट्रीयताओं के 1 लाख से अधिक प्रतिभागियों ने भारत का दौरा किया होगा। हमारे देश में 1.5 करोड़ से अधिक लोग इन कार्यक्रमों में शामिल होंगे या उनके विभिन्न पहलुओं से अवगत होंगे'।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'इतने बड़े पैमाने पर बैठकें आयोजित करना और विदेशी प्रतिनिधियों की मेजबानी करना एक ऐसा प्रयास है जिसमें बुनियादी ढांचे, लॉजिस्टिक्स, संचार कौशल, आतिथ्य और सांस्कृतिक गतिविधियों के मामले में महान क्षमता निर्माण की ज़रूरत होती है। जी20 प्रेसीडेंसी का हमारा लोकतंत्रीकरण देश भर के विभिन्न शहरों के लोगों, विशेषकर युवाओं की क्षमता निर्माण में हमारा निवेश है। इसके अलावा यह जन भागीदारी के हमारे आदर्श वाक्य का एक और उदाहरण है - हमारा मानना ​​है कि किसी भी पहल की सफलता में लोगों की भागीदारी सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर है।'

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क़मर वहीद नक़वी
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