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पीएम केअर्स फंड का सीएजी ऑडिट नहीं, तो विदेशी करेंसी क़ानून से छूट क्यों?

पीएम केअर्स फंड को भले ही सीएजी के तहत न लाया जाए और न ही उसका ऑडिट किया जाए, पर उसे विदेश से चंदा उगाहने में क़ानून से छूट ज़रूर मिल सकती है। इस कोष को अब फ़ॉरन करेंसी रेगुलेशन एक्ट यानी एफ़सीआरए से छूट मिल गई है। यानी विदेशों से चंदा उगाहने में इसे इस क़ानून के तहत सरकार को किसी तरह का हिसाब किताब नहीं देना होगा और न ही इसे किसी तरह की पूछताछ की जाएगी।
'द हिन्दू' ने एक ख़बर में कहा है कि इस बारे में एक आरटीआई अर्जी लगा कर गृह मंत्रालय से छूट के बारे में पूछा गया तो मंत्रालय ने कहा कि इसका जवाब देने के लिए उसे कोष की अनुमति लेनी होगी क्योंकि वह थर्ड पार्टी है।
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क्या है एफसीआरए?

एफ़सीआरए का मक़सद विदेशों से मिलने वाले चंदा पर नज़र रखना है ताकि उसका इस्तेमाल राष्ट्र विरोधी हरकतों में न किया जा सके। इसके लिए विदेशी चंदा लेने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना होता है और पूरी जानकारी देनी होती है। अब तक 49,843 संगठन एफ़सीआरए में पंजीकृत थे, इस सरकार के आने के बाद इसमें से 20,674 संगठनों का पंजीकरण रद्द कर दिया गया।
पीएम केअर्स फंड की वेबसाइट पर डाली गई जानकारियों के अनुसार, इसे फ़ॉरन करेंसी रेगुलेशन एक्ट, 2010, के सभी प्रावधानों से छूट मिल गई है। एफ़सीआरए की धारा 50 के अनुसार, केंद्र सरकार इससे छूट दे सकती है कि यदि उसे लगे कि जनहित में यह ज़रूरी है।

क्या कहता है क़ानून?

गृह मंत्रालय ने जून 2011 में एक आदेश जारी कर कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के बनाए क़ानूनों के आधार पर जिन संगठनों की स्थापना की गई है, और जो सीएजी के तहत आते हैं, उन्हें एफ़सीआरए से छूट मिल सकती है।
एफ़सीआरए से छूट उन्हें मिल सकती है, जो किसी सरकारी क़ानून के तहत स्थापति किए गए हैं और जो सीएजी के तहत आते हैं। पीएम केअर्स फंड सीएजी के तहत नहीं आता, केंद्र सरकार कई बार कह चुकी है।
उसका कहना है कि यह सीएजी के तहत इसलिए नहीं आता कि इसमें सरकार के पैसे नहीं आते, यह निजी ट्रस्ट है। अब सवाल यह है कि यदि पीएम केअर्स फंड निजी ट्रस्ट है तो उसे एफ़सीआरए से छूट कैसे मिली हुई है?
पीएम केअर्स फंड की स्थापना सार्वजनिक दातव्य ट्रस्ट के रूप में की गई और रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 के तहत इसका पंजीकरण किया गया। इसकी स्थापना किसी केंद्रीय या राज्य सरकार के क़ानून से नहीं की गई, तो एफ़सीआरए से छूट क्यों?

ऑडिट नहीं

इसके पहले सीएजी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी से कहा था, ‘यह कोष लोगों और संगठनों से मिले चंदों से चलता है, दातव्य संस्थाओं की ऑडिट करने का अधिकार सीएजी को नहीं है।’
कोरोना संकट के दौरान पैसे एकत्रित करने के लिए इस कोष का गठन किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मार्च को इसके गठन का ऐलान किया था। इसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री हैं। कैबिनेट के दूसरे मंत्री इसके सदस्य हैं।
सीएजी के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक़, अगर सरकार ख़ुद पीएम केएर्स राहत कोष को आडिट करने के लिए कहेगी तभी सीएजी इसकी जाँच करेगा।
कोष की स्थापना के साथ ही प्रधानमंत्री ने इसमें दान देने की अपील की थी। रिलायंस समूह ने 1,000 करोड़ रुपए तो टाटा समूह ने 1,500 करोड़ रुपए का दान पीएम केअर्स को देने का एलान किया है। बीते दिनों मुख्य सचिव ने सभी सचिवों से अपील की कि वे सभी सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मचारियों से दान देने को कहें।
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क़मर वहीद नक़वी
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