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फाइजर भारत में मिले स्ट्रेन पर भी प्रभावी, तो टीके मिलने में देरी क्यों?

फाइजर ने कहा है कि इसकी वैक्सीन भारत में मिले नये स्ट्रेन पर तो 'बेहद प्रभावी' है ही, भारतीय मूल के लोगों पर भी। फाइजर ने यह भी कहा है कि 12 वर्ष से ज़्यादा उम्र के सभी लोग इस टीके को लगवा सकते हैं। इसके साथ ही 2-8 डिग्री सेल्सियत पर इसे एक महीना तक सुरक्षित रखा भी जा सकता है। कंपनी जुलाई से अक्टूबर तक 5 करोड़ खुराक आपूर्ति कर भी सकती है, लेकिन अभी तक उसे मंजूरी नहीं मिली है। फाइजर ने इस मंजूरी प्रक्रिया को आसान बनाने का आग्रह किया है। लेकिन सवाल है कि जब केंद्र सरकार टीके खरीदना चाहती है और कंपनी आपूर्ति भी करना चाहती है तो फिर दिक्कत कहाँ है?

दिक्कत है। नियामक छूट को लेकर। फाइजर कंपनी चाहती है कि उसे टीके लगाने से दुष्प्रभाव जैसी किसी क्षति की पूर्ति के रूप में दिए जाने वाले हर्जाने जैसी नियामक छूट मिले। कंपनी चाहती है कि सरकार यह दावा करे कि किसी दुष्प्रभाव पड़ने की स्थिति में उसे क़ानूनी छूट मिले और उससे सरकार ख़ुद निपटे। 

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इसको लेकर पिछले कुछ हफ़्तों में दोनों पक्षों के बीच कई दौर की वार्ता भी हो चुकी है। इसमें फाइज़र के चेयरमैन और सीईओ एल्बर्ट बाउर्ला भी शामिल रहे थे। फाइजर का तर्क है कि उसने जिस किसी भी देश के साथ क़रार किया है उसमें उसे दुष्प्रभाव की स्थिति में नियामक छूट मिली है। इसमें अमेरिका सहित कई यूरोपीय देश शामिल हैं। कंपनी ऐसा ही भारत सरकार से चाहती है। 

इधर सरकार का कहना है कि उसने जिस किसी भी कंपनी के साथ क़रार किया है उसमें उसने किसी भी कंपनी को ऐसी छूट नहीं दी है। देश में फ़िलहाल तीन कंपनियों- कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पुतनिक की वैक्सीन की मंजूरी मिली है और इन तीनों कंपनियों के टीके लगाए भी जा रहे हैं। 

पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि फाइजर ने वैक्सीन के ट्रायल, प्रभाविकता और डब्ल्यूएचओ सहित कई देशों में मिली मंजूरी की सूचना भारत सरकार से साझा की है। इसमें भारतीय मूल के लोगों पर किए गए ट्रायल का डाटा भी शामिल है। 

फाइजर ने कहा है कि यूनाइटेड किंगडम में पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड यानी पीएचई द्वारा हाल ही में किए गए अध्ययन में कुल मिलाकर 26 प्रतिशत प्रतिभागी 'भारतीय या ब्रिटिश भारतीय' थे। यूके के अध्ययन में जिन 26% ने उच्च प्रभाविकता दिखाई वे भारतीय मूल के थे।

फाइजर ने सरकार को यह भी बताया कि 22 मई को समाप्त हुए इस अध्ययन में भारत में मिले बी.1.617.2 वैरिएंट पर फाइजर वैक्सीन 87.9 प्रतिशत प्रभावी थी। भारत में बी.1.617.2 वैरिएंट को ही तेज़ी से संक्रमण के लिए ज़िम्मेदार माना जा रहा है।

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कंपनी ने कहा है कि इसका टीका 12 साल से ऊपर के लोगों को भी दिया जा सकता है। बता दें कि भारत में लगाए जा रहे टीकों में से किसी को भी 18 साल से कम उम्र के बच्चों को लगाने की मंजूरी नहीं मिली है। हालाँकि कोवैक्सीन इस महीने के आखिर तक 2-18 साल के बच्चों पर इसका ट्रायल करने वाली है। 

बता दें कि देश में वैक्सीन की कमी के कारण कई जगहों पर टीकाकरण केंद्रों को बंद करना पड़ा है। फाइजर और मॉडर्ना ने राज्यों से कहा है कि वे भारत सरकार से ही सौदा कर सकती हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि जब राज्य सरकार ने फाइजर और मॉडर्ना से संपर्क किया तो इन कंपनियों ने साफ़ तौर पर कह दिया कि वे केंद्र सरकार से सौदा करेंगी, राज्यों से नहीं। 

pfizer seeks faster approval, cites very effective on strain found in india, 12+children - Satya Hindi
केजरीवाल से एक दिन पहले ही पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी यही बात कही थी। उन्होंने कहा था जब मॉडर्ना कंपनी से संपर्क किया गया तो उसने सीधे राज्य को बेचने से इनकार कर दिया। पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने भी सोमवार को कहा था कि वैक्सीन निर्माता मॉडर्ना ने सीधे पंजाब सरकार को वैक्सीन भेजने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को पहल करनी चाहिए और टीकों की खरीद में राज्य सरकार का समर्थन करना चाहिए।
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क़मर वहीद नक़वी
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