वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार शाम को फ्यूल की कीमतों पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क (सेंट्रल एक्साइज) में बड़ी कटौती की घोषणा की है। इससे पेट्रोल की कीमत में 9.5 रुपये की कमी आएगी, जबकि डीजल 7 रुपये सस्ता हो जाएगा। देश में खुदरा महंगाई दर उच्चतम पर है। इससे सरकार को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा था। ज्यादातर आवश्यक वस्तुओं के दाम पेट्रोल-डीजल महंगा होने के कारण बढ़ जाते हैं। हालांकि सरकार ने शनिवार को सीएनजी के रेट दो रुपये बढ़ा दिए थे। पिछले कई दिनों से सीएनजी, रसोई गैस और कमर्शल गैस के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने और इस वजह से पेट्रोल-डीजल के सस्ता होने का स्वागत किया है। पीएम ने कहा कि हमारे लिए आम आदमी पहले है। हाल ही में पीएम मोदी राज्यों से पेट्रोल-डीजल पर वैट घटाने का आग्रह करके खुद सवालों में घिर गए थे। कई राज्यों ने उनके बयान के लिए जबरदस्त आलोचना की थी। इस विवाद में यह बात साफ हो गई थी कि केंद्र अपनी एक्साइज ड्यूटी घटाने को तैयार नहीं है लेकिन वो राज्यों से वैट कम करने को कह रही है। कांग्रेस ने तमाम आंकड़ों के साथ मोदी सरकार पर जबरदस्त हमला बोला था।
दाम बढ़े थे 13 रुपये, घटे थे महज 5 रुपये
‘राज्य के लोगों की भलाई’ वाली केंद्र सरकार की मानसिकता को समझना हो तो उत्पाद शुल्क उस कटौती की भी बात करें और उस कटौते से पहले उत्पाद शुल्क में हुई बढ़ोतरी को भी याद करें।- नवंबर 2021 में मोदी सरकार ने पेट्रोल पर 5 रुपये और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क में कटौती की घोषणा की थी।
- मार्च 2020 से मई 2020 के बीच पेट्रोल और डीजल पर 13 रुपये और 16 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क बढ़ायी गयी थी।
- उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी से पेट्रोल पर केंद्रीय कर 32.90 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर यह 31.80 रुपये प्रति लीटर हो गया था।
7/12 We are reducing the Central excise duty on Petrol by ₹ 8 per litre and on Diesel by ₹ 6 per litre.
— Nirmala Sitharaman (@nsitharaman) May 21, 2022
This will reduce the price of petrol by ₹ 9.5 per litre and of Diesel by ₹ 7 per litre.
It will have revenue implication of around ₹ 1 lakh crore/year for the government.
हर दिन 1018 करोड़ वसूलता है केंद्र
संसद में दी गयी जानकारी के मुताबिक पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी से 2020-21 में 3.719 लाख करोड़ रुपये केंद्र सरकार ने जुटाए। इसका मतलब यह है कि हर दिन 1018.93 करोड़ रुपये कमाए गये। 2019-20 में यह कमाई 488.52 करोड़ रुपये प्रति दिन थी। मतलब दुगुने से भी ज्यादा कमाई बीते वर्ष के मुकाबले सिर्फ 2020-21 में कर ली गयी।ईंधन पर उत्पाद शुल्क से सालाना और प्रतिदिन केंद्रीय राजस्व
जनता करों के अत्यधिक बोझ से परेशान है। राज्य सरकारें भी पेट्रोल-डीजल पर वैट वसूलती है और केंद्र सरकार भी उत्पाद शुल्क लेती है। वर्ष 2020-21 में पेट्रोल-डीजल पर करों से जुटायी गयी रकम से राज्य सरकारों को 18,972 करोड़ रुपये हिस्सेदारी दी गयी थी। यानी प्रदेश सरकारों को औसतन 51.97 करोड़ रुपये दिए गये। यह मूल रूप से जो पेट्रोल-डीजल से बेसिक कर वसूले जाते हैं, उसका हिस्सा होता है।
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