मुठभेड़ में शुक्रवार को विकास दुबे के मारे जाने से पहले गुरुवार को ही सुप्रीम कोर्ट में 'फ़ेक एनकाउंटर' को लेकर एक याचिका दाखिल की गई थी। यह याचिका विकास दुबे के पाँच सहयोगियों के मुठभेड़ में मारे जाने को लेकर थी और इसमें अदालत से अपील की गई थी कि इस पर तुरंत सुनवाई की जानी चाहिए।
यह याचिका एडवोकेट घनश्याम उपाध्याय द्वारा दायर की गई थी। कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मुख्य आरोपी विकास दुबे को गुरुवार को ही उज्जैन में पकड़ा गया था। उसकी गिरफ़्तारी के बाद से ही आशंका जताई जा रही थी कि उसको मुठभेड़ में मारा जा सकता है। अब मुठभेड़ में मारे जाने के बाद तो और भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
याचिका में चिंता जताई गई थी कि उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर विकास दुबे के साथ भी उसके सहयोगियों की तरह मुठभेड़ की जा सकती है। इसलिए याचिकाकर्ता घनश्याम उपाध्याय ने प्रार्थना की थी कि दुबे को पर्याप्त सुरक्षा दी जाए ताकि उससे क़ानून के अनुसार निपटा जा सके।
याचिका में कहा गया कि मुठभेड़ के नाम पर पुलिस द्वारा आरोपियों को मारना क़ानून के शासन के ख़िलाफ़ है और यह मानव अधिकार का गंभीर उल्लंघन है और यह देश के तालिबानीकरण से कम नहीं है।
एनकाउंटर की आशंका कल से ही थी। इसी कारण सुप्रीम कोर्ट में याचिका कल प्रस्तुत हो चुकी है। यह कस्टडी में मौत का प्रकरण है। घटना की परिस्थितियों की जांच कोर्ट की निगरानी,नियंत्रण में हो। विकास को दंड मिलना तो निश्चित था परंतु यह पूरे खुलासे और कानूनी प्रक्रिया से होना था। https://t.co/DgtnpfIHul
— Vivek Tankha (@VTankha) July 10, 2020
हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के दो सहयोगी गुरुवार सुबह ही अलग-अलग मुठभेड़ में मारे गए थे। इन दोनों में से एक तो हिरासत में था और पुलिस के अनुसार कानपुर ले जाने के दौरान भागने की कोशिश में मारा गया, जबकि दूसरे के साथ पुलिस की आमने-सामने की मुठभेड़ हुई। इस मामले में मुठभेड़ में विकास दुबे का एक सहयोगी बुधवार को भी मारा गया था। गुरुवार को जिस आरोपी ने भागने की कोशिश की थी उसका नाम प्रभात मिश्रा था। उसे उस मुठभेड़ से एक दिन पहले ही दो अन्य आरोपियों के साथ गिरफ़्तार किया गया था।
पुलिस का दावा है कि कानपुर ले जाने के दौरान उसने रास्ते में भागने का प्रयास किया। पुलिस के अनुसार, 'प्रभात के साथ वाले पुलिसकर्मी पुलिस वैन के टायर को बदलने की कोशिश कर रहे थे, तभी प्रभात ने उनसे पिस्तौल छीन ली और भागने की कोशिश की। उसने पुलिसकर्मियों पर गोली चला दी और पुलिसकर्मियों ने जवाबी कार्रवाई की। उसे पैर में गोली लगी और उसे अस्पताल ले जाया गया। इससे उसकी मौत हो गई।'
गुरुवार को हुई दूसरे मुठभेड़ के बारे में पुलिस का कहना था कि आठ पुलिस कर्मियों के मारे जाने के दौरान विकास दुबे के साथ मौजूद रहे रणबीर उर्फ़ बउआ दुबे गुरुवार सुबह मुठभेड़ में मारा गया। इटावा के एसएसपी आकाश तोमर ने कहा है कि उसके पास से हथियार भी बरामद हुए हैं। मुठभेड़ के दौरान एक पिस्तौल, एक डबल बैरल बंदूक और कई कारतूस बरामद किए गए। रणबीर के साथ मौजूद तीन अन्य लोग भागने में सफल रहे।
इससे पहले बुधवार को उसका एक सहयोगी अमर दुबे लखनऊ से क़रीब 150 किलोमीटर दूर हमीरपुर ज़िले में पुलिस मुठभेड़ में बुधवार तड़के ही मारा गया था। एक सहयोगी श्यामू बाजपेयी को मुठभेड़ के बाद कानपुर में गिरफ़्तार किया गया।
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