गो तस्करी के शक में भीड़ के द्वारा पीट-पीटकर मार डाले गए हरियाणा के नूँह के निवासी पहलू ख़ान मामले में अलवर की जिला अदालत ने फ़ैसला सुना दिया है। अदालत ने सभी 6 अभियुक्तों को बरी कर दिया है। 1 अप्रैल, 2017 को 55 वर्षीय पहलू ख़ान जयपुर से पशु ख़रीदकर ला रहे थे तब बहरोड़ में कथित गो रक्षकों ने उन्हें गो तस्करी के शक में बुरी तरह पीटा था जिसके दो दिन बाद अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया था।
अदालत ने इस मामले में 7 अगस्त को सुनवाई की प्रक्रिया पूरी कर ली थी और फ़ैसले को सुरक्षित रख लिया था। इस मामले में सुनवाई की प्रक्रिया हर दिन चल रही थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस मामले को बहरोड़ से अलवर ट्रांसफ़र कर दिया गया था। बहरोड़ पुलिस स्टेशन ने इस मामले में 7 एफ़आईआर दर्ज की थीं। इसमें से एक पहलू ख़ान की हत्या और छह गोवंश के अवैध व्यापार से संबंधित थीं। पुलिस के मुताबिक़, इन गोवंश को छह वाहनों में ले जाया जा रहा था। पहलू ख़ान की हत्या मामले में पुलिस ने अदालत के सामने विपिन, रविंद्र, कालू राम, दयानंद और योगेश कुमार के ख़िलाफ़ 31 मई, 2017 को चार्जशीट दायर की थी।
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पहलू ख़ान की हत्या मामले में 6 अभियुक्तों को पहले ही क्लीन चिट दी जा चुकी थी। तब पहलू ख़ान के बेटे ने कहा था कि उनके साथ धोखा हुआ है और उनका परिवार फिर से जाँच की माँग करेगा। पहलू ख़ान से मारपीट का वीडियो सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल हुआ था।
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घटना के बाद पहलू ख़ान के बड़े बेटे इरशाद (25) ने बताया था कि उनका डेयरी का कारोबार है और वह जयपुर से गाय और भैंस खरीदकर ले जा रहे थे लेकिन कथित गो रक्षकों ने उनकी एक न सुनी और गो तस्कर समझकर उन पर हमला कर दिया।
पहलू ख़ान की हत्या के बाद पूरे देश में बवाल हुआ था और राजस्थान की तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार की देशभर में काफ़ी आलोचना हुई थी। इसके बाद भी अलवर और भरतपुर जिलों में मॉब लिंचिंग की कई घटनाएँ सामने आईं थीं। इन घटनाओं को देखते हुए राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने विधानसभा में मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए एक विधेयक को पारित किया है। इस विधेयक के तहत मॉब लिंचिंग की घटनाओं में पीड़ित की मौत होने पर दोषी को कठोर आजीवन कारावास और एक से पाँच लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान रखा गया है। मध्य प्रदेश सरकार भी गोरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा से संबंधित क़ानून बना चुकी है।
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