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संसदीय समिति ने ऑडिट रिपोर्ट में देरी पर सीएजी को तलब किया

संसद के पटल पर रखे गए सभी कागजातों की जाँच करने वाली संसद की एक समिति ने पहली बार सीएजी को तलब किया है। समिति ने सीएजी अधिकारियों को इसलिए बुलाया है कि वे वार्षिक रिपोर्ट और लेखा ऑडिट खातों को पेश करने में अनुचित देरी पर सफ़ाई दें।

सीएजी यानी भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक एक संवैधानिक संस्था है जो भारत सरकार तथा सभी राज्यों की सरकारों के सभी तरह के खातों का ऑडिट करता है। वह सरकार के स्वामित्व वाली कम्पनियों का भी ऑडिट करता है। इसके तहत 1,000 से अधिक स्वायत्त निकाय, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयाँ, विभिन्न मंत्रालय का ऑडिट किया जाता है।

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पटल पर रखे गए कागजात (लोकसभा) पर समिति के समक्ष भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक यानी सीएजी के अधिकारी उपस्थित होंगे। समिति के अध्यक्ष रितेश पांडे ने 'द इंडियन एक्सप्रेस' को बताया कि समिति ने सीएजी को बुलाया है ताकि निकायों के खातों का समय पर ऑडिट किया जा सके और इस देश के लोगों को पता चले कि कैसे उनका पैसा इन निकायों द्वारा खर्च किया जाता है।'

रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, 'रिकॉर्ड के अनुसार, इस समिति के कामकाज के बारे में कोई मिसाल नहीं है जब सीएजी को मंत्रालयों/ सार्वजनिक उपक्रमों / स्वायत्त निकायों आदि को लेकर ऑडिट आपत्तियों और देरी पर सफ़ाई देने के लिए बुलाया गया हो। मुझे नहीं लगता कि लोक लेखा समिति (पीएसी) के अलावा किसी अन्य संसदीय समिति ने कभी सीएजी को तलब किया है।'

पटल पर रखे गए कागजात (लोकसभा) पर समिति के अध्यक्ष पांडे ने कहा कि मिनी संसद की तरह होने के कारण संसदीय समिति को किसी भी मंत्रालय/विभाग/संगठन/पीएसयू और यहाँ तक ​​कि स्वायत्त संगठनों के प्रतिनिधियों को बुलाने का अधिकार है।

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यह समिति उन संगठनों और उनके प्रशासनिक मंत्रालयों और विभागों के प्रतिनिधियों को समय-समय पर समन करती रही है जिन्होंने अपने कागजात समय पर पटल पर नहीं रखे हैं। इन मामलों में उन्हें इसलिए समन किया जाता रहा है कि समिति ने पाया कि इनमें से कुछ निकाय 'लापरवाह' थे, कुछ को कोई दिलचस्पी नहीं थी, जबकि कुछ निकायों ने लेखा परीक्षकों को समय पर नहीं भेजने के लिए सीएजी को दोषी क़रार दिया। 

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क़मर वहीद नक़वी
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