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विशेष सत्रः नेहरू के हवाले से खड़गे और अधीर का पीएम मोदी को कड़ा जवाब

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने इशारों में पीएम मोदी की कई बातों का जवाब दिया। लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने याद किया कि कैसे जब पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू अपने भाषण के दौरान समय सीमा से आगे बढ़ जाते थे तो स्पीकर घंटी बजाते थे। उन्होंने उस समय भारत के लिए नेहरू के योगदान की ओर ध्यान दिलाया जब देश भारत-पाकिस्तान विभाजन, गरीबी और अन्य चुनौतियों के दुष्परिणामों से जूझ रहा था।
राज्यसभा में नेता विपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा-  अपनी राजनीति करने का तरीका बदलें, हम नई संसद में जा रहे हैं, अगर राजनीति का तरीका नहीं बदला तो कुछ भी नया नहीं होगा। खड़गे ने सत्तारूढ़ पार्टी की तरफ इशारा करते हुए यह बात कही।
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अधीर रंजन चौधरी ने कहा- "... इस (पुराने) संसद भवन से बाहर निकलना हम सभी के लिए वास्तव में एक भावनात्मक क्षण है। हम सभी अपनी पुरानी इमारत को अलविदा कहने के लिए यहां मौजूद हैं... पंडित नेहरू ने कहा था कि संसदीय लोकतंत्र कई गुणों की मांग करता है, यह क्षमता, कार्य के प्रति समर्पण और आत्म-अनुशासन की मांग करता है। हालांकि उन्हें (पंडित नेहरू) संसद में भारी बहुमत प्राप्त था, लेकिन वह विपक्ष की आवाज सुनने में थकते नहीं थे। उन्होंने कभी भी विपक्ष का मजाक नहीं उड़ाया या प्रश्नों का उत्तर देते समय ध्यान नहीं भटकाया।"
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा- ''चंद्रयान को लेकर चर्चा चल रही थी, मैं कहना चाहता हूं कि 1946 में जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में परमाणु अनुसंधान समिति का गठन किया गया था। वहीं से हम आगे बढ़े और 1964 में इसरो का विकास किया। आज हम इसरो को क्या कहेंगे, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन नहीं तो क्या कहेंगे? ये भारत, इंडिया का मुद्दा कहां से उठ गया है?..."
उधर राज्यसभा में खड़गे ने कहा- अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में 21 बार बयान दिया, मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान 30 बार बयान दिया। हालाँकि कुछ 'परंपरागत टिप्पणियों' के अलावा, पीएम मोदी ने संसद में केवल दो बार अपना बयान दिया।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- "नेहरू जी का मानना ​​था कि एक मजबूत विपक्ष की अनुपस्थिति का मतलब है कि सिस्टम में महत्वपूर्ण कमियां हैं। अगर कोई मजबूत विपक्ष नहीं है, तो यह सही नहीं है। अब, एक मजबूत विपक्ष है। ईडी, सीबीआई के जरिए इसे कमजोर करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है...उन्हें (अपनी पार्टी में) ले जाओ, उन्हें वॉशिंग मशीन में डाल दो और जब वे पूरी तरह से साफ निकल आएं - तो उन्हें (अपनी पार्टी में) स्थायी कर दो। आप देख सकते हैं क्या आज हो रहा है। पीएम संसद में कम ही आते हैं और जब आते हैं तो इसे एक इवेंट बनाकर चले जाते हैं...।"
इससे पहले संसद में प्रधानमंत्री मोदी के भाषण से विशेष सत्र की शुरुआत हुई। लोकसभा में पीएम मोदी ने कहा कि हमें अतीत को याद करने की जरूरत है। यह रोने-धोने का समय नहीं है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्रियों के योगदान से लेकर बाबा साहब आंबेडकर और शहीद भगत सिंह तक को याद किया। उन्होंने संसद भवन के कर्मचारियों को उनकी सेवाओं के लिए याद किया।
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क़मर वहीद नक़वी
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