संसद में सोमवार को अभूतपूर्व घटनाक्रम घटा। आज लोकसभा और राज्यसभा 78 सांसदों को निलंबित कर दिया गया। इससे पहले इस सत्र में 14 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था। इस तरह इस सत्र में कुल मिलाकर अब तक 92 सांसदों को निलंबित किया जा चुका है। पिछले सप्ताह संसद में सुरक्षा चूक को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग को लेकर विपक्ष विरोध-प्रदर्शन कर रहा था। दोनों बार ये कार्रवाइयाँ संसद में हंगामे को लेकर की गईं।
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पिछले हफ्ते बुधवार को दो युवकों ने लोकसभा के अंदर घुसकर प्रदर्शन किया और धुआं छोड़ा था। इस बहुत बड़ी सुरक्षा सेंध माना गया। विपक्ष ने गुरुवार और शुक्रवार को इस मुद्दे पर दोनों सदनों में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग की। सरकार ने दोनों सदनों में इस पर चर्चा नहीं होने दी तो हंगामा हुआ। लोकसभा स्पीकर ने खराब आचरण का आरोप लगाते हुए लोकसभा में इंडिया गठबंधन के 13 सांसदों और राज्यसभा में टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन को शेष सत्र के लिए सदन से निष्कासित कर दिया था।
विपक्ष ने सोमवार को भी इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया। दोनों सदनों में 20 से ज्यादा नोटिस देकर इस पर चर्चा की मांग की गई। लगातार हंगामे की वजह से लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने इंडिया गठबंधन के सांसदों को दोपहर बाद निलंबित कर दिया। स्पीकर ने कहा कि निलंबित सांसद सदन में पोस्टर दिखा रहे थे। निलंबित सांसदों में कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी के अलावा डीएमके सांसद टी. आर. बालू और दयानिधि मारन और टीएमसी के सौगत रॉय शामिल हैं।
इन सांसदों के निलंबन का प्रस्ताव संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सदन में पेश किया। बाद में इसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। मीडिया से बात करते हुए, अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सरकार तानाशाही तरीके से व्यवहार कर रही है और संसद को भाजपा मुख्यालय के रूप में मान रही है। उन्होंने कहा कि सत्र शुरू होने के बाद से ही विपक्ष सरकार के साथ सहयोग कर रहा है।
कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट किया- "पहले, घुसपैठियों ने संसद पर हमला किया। फिर मोदी सरकार संसद और लोकतंत्र पर हमला कर रही है। सांसदों को निलंबित करके निरंकुश मोदी सरकार द्वारा सभी लोकतांत्रिक मानदंडों को कूड़ेदान में फेंक दिया जा रहा है। मोदी सरकार अब महत्वपूर्ण लंबित कानूनों को कुचल सकती है, किसी भी असहमति को बिना किसी बहस के कुचल सकती है।''
आज दिन में पहले ख़बर आई थी कि 33 सांसदों को निलंबित किया गया है। निलंबन से पहले चर्चा के दौरान लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने सदन में हंगामे पर अपनी टिप्पणी में कहा- विपक्ष संसद सुरक्षा सेंध मामले का राजनीतिकरण न करे।
संसद सुरक्षा सेंध को लेकर विपक्षी सांसदों के नोटिस पर चर्चा नहीं कराने को लेकर संसद के दोनों सदनों में जबरदस्त हंगामा हुआ। विपक्ष इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग कर रहा है। इस मुद्दे पर पीएम मोदी और अमित शाह ने संसद के बाहर बयान दिया है लेकिन वे संसद के अंदर नहीं बोल रहे हैं।
सोमवार को संसद शुरू होते ही इंडिया गठबंधन के कुछ निलंबित सांसदों ने संसद के बाहर प्रदर्शन किया। कांग्रेस की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने इन सांसदों से संसद के अंदर जाते हुए मुलाकात की।इंडिया गठबंधन के सांसदों ने संसद सुरक्षा उल्लंघन पर चर्चा के लिए राज्यसभा में काम रोको प्रस्ताव को लेकर 20 से अधिक नोटिस प्रस्तुत किए और संसद सुरक्षा सेंध पर चर्चा की मांग की।
संसद की सुरक्षा में सेंध की घटना पर शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत का कहना है, 'अगर केंद्र में कोई और पार्टी सत्ता में होती तो बीजेपी इस मुद्दे पर पूरी दिल्ली बंद कर देती। बीजेपी सांसद के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। घटना के आरोपियों को संसद में प्रवेश किसने दिया... राष्ट्रीय सुरक्षा के इस मुद्दे पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। प्रधानमंत्री को इस मुद्दे पर संसद में बोलना चाहिए।'
सरकार सोमवार को लोकसभा में दूरसंचार विधेयक 2023 पेश कर सकती है। केंद्र सरकार का लक्ष्य शीतकालीन सत्र समाप्त होने से पहले तीन नए आपराधिक कोड और चुनाव आयुक्तों का चयन करने के लिए एक पैनल पर विधेयक को आगे बढ़ाने का भी है।
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