कोरोना संकट के बीच संसद का मानसून सत्र सितंबर में होगा और इसमें लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही संसद में होंगी, यानी सदस्य संसद में सशरीर उपस्थित होकर इसमें भाग लेंगे, यह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए नहीं होगा। इसमें सोशल डिस्टैंसिंग का पूरा ख्याल रखा जाएगा और इसके लिए विशेष इंतजाम किए जाएंगे।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, लोकसभा और राज्यसभा बारी-बारी से काम करेंगी। वे या तो सुबह और शाम की शिफ़्टों में काम करेंगी या एक-एक दिन छोड़ कर काम करेंगी ताकि एक साथ कम लोग सदन में मौजूद रहें और सोशल डिस्टैंसिंग का पालन ठीक से हो सके।
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गैलरी में बैठेंगे सांसद
सदस्यों को सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करते हुए बैठने की व्यवस्था करने के लिए चैंबरों और गैलरियों का इस्तेमाल किया जाएगा। लोकसभा के 542 सदस्यों में से 168 चैंबर में बैठेंगे और दूसरे लोगों के बैठने का इंतजाम लोकसभा की गैलरी और राज्यसभा की गैलरी में किया जाएगा। इसके अलावा लोकसभा के 51 सदस्यों के लिए राज्यसभा की गैलरी और 60 सदस्यों के लिए चैंबर में बैठने की व्यवस्था होगी।इसी तरह राज्यसभा के 241 सदस्यों को चैंबर और गैलरी में बैठाया जाएगा। हर सदन में पहली दो पंक्तियों को खाली छोड़ दिया जाएगा।
ख़ास इंतजाम
इस मौके पर विशेष इंतजाम किया जा रहा है और इसके लिए राज्यसभा सचिवालय के लोग लगे हुए हैं। राज्यसभा में बड़े डिसप्ले वाले स्क्रीन और उसकी गैलरी में ऑडियो कॉन्सोल लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा दोनों सदनों को जोड़ने के लिए गैलरी और चैंबर में ख़ास केबल लगाए जा रहे हैं ताकि दूर बैठे सदस्यों को किसी तरह की कोई दिक्क़त न हो और वे आराम से सदन की कार्यवाही में भाग ले सकें।इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक़, राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने सचिवालय की बैठक बुला कर सही समय से पूरा इंतजाम करने का निर्देश दिया है। बैठक के पहले उसका रिहर्सल होगा।
हर सदन के चैंबर में 85 इंच के बड़े डिसप्ले वाले 4 स्क्रीन और गैलरी में 40 इंच के 6 स्क्रीन लगाए जाएंगे। हर सीट में ऑडियो कॉन्सोल लगाए जा रहे हैं ताकि सदस्य सीट पर बैठे-बैठे ही सदन की कार्यवाही में भाग ले सकें, सबकुछ देख सकें और बहस में भाग ले सकें।
कहाँ बैठेंगे मोदी
राज्यसभा चैंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा सदन के नेता, विपक्ष के नेता, मनमोहन सिंह, एच. डी. देवगौड़ा और रामदास अठावले बैठेंगे। दूसरे सदस्यों को उनकी पार्टी के लिए तय इलाक़ों में बैठाया जाएगा।सदन की यह बैठक अहम इसलिए है कि कोरोना संकट शुरू होने के बाद तक यानी 22 मार्च तक सदन की कार्यवाही चलती रही थी। सदन के कई सदस्यों में कोरोना के लक्षण पाए गए थे, कई लोगों को घर पर क्वरेन्टाइन करने को कहा गया था। इसके बाद ही सदन की कार्यवाही रोकी गई थी।
अब सदन की कार्यवाही शुरू किए जाने का यह मतलब कतई नहीं है कि कोरोना संकट ख़त्म हो गया। सच तो यह है कि कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या 26 लाख से ज़्यादा हो चुकी है और रोज़ाना पाए जाने वाले कोरोना मामलों की तादाद भी बढ़ रही है। रविवार सुबह तक पहले के 24 घंटों में 63 हज़ार मामले पाए गए थे। ऐसे में संसद की कार्यवाही से सरकार भले ही यह संकेत देना चाहती हो कि सबकुछ सामान्य हो गया है, सच इसके उलट है।
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