संसद के मानसून सत्र को छोटा करने की जो आशंका पहले से जताई जा रही थी उस पर लगता है अब अमल होने जा रहा है। सरकार ने विपक्षी दलों से चर्चा के बाद लोकसभा के मानसूत्र सत्र को कम करने का फ़ैसला लिया है, हालाँकि इस पर अंतिम मुहर नहीं लगी है। अब कहा जा रहा है कि तय समय से आठ दिन पहले ही यानी बुधवार को लोकसभा का यह सत्र समाप्त किया जा सकता है। इसके बाद राज्य सभा के सत्र को लेकर भी ऐसा ही फै़सला लिया जा सकता है। सरकार ऐसा फ़ैसला इसलिए ले रही है क्योंकि संसद परिसर में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं और संसद सत्र में भाग लेने वाले तीन सांसद कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। संसद सत्र शुरू होने से पहले ही ज़रूरी कोरोना जाँच में 25 सांसद पॉजिटिव पाए गए थे।
कोरोना संक्रमण के बढ़ते इन मामलों को लेकर सरकार लगातार मानसून सत्र को छोटा रखने के विचार में रही है। इसको लेकर सरकार ने विपक्ष से चर्चा भी की थी। शनिवार को व्यापार सलाहकार समिति की बैठक में भी विपक्ष के साथ इस पर चर्चा की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ विपक्षी दल भी मानसून सत्र को पहले समाप्त करने के पक्ष में हैं। हालाँकि तृणमूल कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी ऐसा करने के पक्ष में नहीं हैं। बता दें कि पहले सभी विपक्षी पार्टियाँ मानसून सत्र को छोटा करने का विरोध कर रही थीं।
संसद भवन में कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए काफ़ी इंतज़ाम किए गए हैं और इसी को लेकर 18 दिन का यह सत्र तय किया गया था। इसमें यह भी तय किया गया कि इस बीच कोई छुट्टी नहीं होगी। संसद के दोनों सदनों का सत्र बारी-बारी से शिफ़्ट में चलाना तय किया गया था जिससे कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा सके और कोरोना संक्रमण फैलने का ख़तरा कम हो। इसके बावजूद कई सांसद संक्रमित हो गए।
इसी हफ़्ते केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और प्रहलाद पटेल कोरोना संक्रमित पाए गए हैं जबकि संसद सत्र शुरू होने से पहले उनकी कोरोना जाँच नेगेटिव आई थी। दो दिन पहले ही शुक्रवार को राज्य सभा सदस्य विनय सहस्रबुद्धे भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं।
ऐसा तब है जब सांसद कोरोना की जाँच नियमित समय पर ख़ुद से करा रहे हैं और उनके स्टाफ़ के लिए हर 72 घंटे में जाँच कराना ज़रूरी है।
इससे पहले संसद के मानसून सत्र शुरू होने के पहले दिन 14 सितंबर को कम से कम 25 सांसदों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव की आई थी। इनमें से 17 लोकसभा के सांसद थे जबकि 8 राज्यसभा के सांसद। सत्र शुरू होने से पहले 13 और 14 सितंबर को इन सांसदों की कोरोना जाँच की गई थी और 14 सितंबर को इनकी रिपोर्ट आई। संसद के सत्र में शामिल होने वाले सांसदों को कोरोना की जाँच कराना अनिवार्य है।
कोरोना संक्रमण को लेकर आशंकाएँ इसलिए है कि संसद में कुल 785 में से 200 सांसद 65 साल की उम्र से ज़्यादा के हैं। ज़्यादा उम्र के लोगों के लिए कोरोना संक्रमण ज़्यादा घातक है। दुनिया भर में अब तक जितने भी आँकड़े आए हैं उनमें इसी बात की पुष्टि होती है। फ़िलहाल देश में कोरोना संक्रमण के मामले दुनिया में सबसे ज़्यादा आ रहे हैं। रविवार को ही स्वास्थ्य मंत्रालय ने जो आँकड़े जारी किए हैं उसके अनुसार 24 घंटे में 92 हज़ार से ज़्यादा संक्रमण के मामले आए हैं। अब तक देश में 54 लाख से ज़्यादा पॉजिटिव केस आ चुके हैं और 86 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
यही कारण है कि कोरोना संक्रमण के कारण संसद में विशेष एहतियात बरती जा रही है।
'हिंदुस्तान टाइम्स' की रिपोर्ट के अनुसार, व्यापार सलाहकार समिति की शनिवार की बैठक में साप्ताहिक एजेंडे को तय करने वाले पैनल ने कहा कि उन्हें सत्र में कटौती करने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन वह 20 क़ानून लाना चाहता है। इसमें 11 अध्यादेश पर मुहर लगाना भी शामिल है। रिपोर्ट के अनुसार अब तक 20 में से 11 विधेयक लोकसभा द्वारा पास किए जा चुके हैं।
अब यदि बुधवार तक मानसून सत्र को समेटने की तैयारी होती है तो ऐसा हो सकता है कि बिना पर्याप्त बहस कराए ही कई विधेयकों को सरकार पास करा ले।
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