नए कानून के तहत केस दर्ज होने के बाद जांच के दौरान, अगर यह पता चलता है कि परीक्षा कराने वाली एजेंसी का किसी वरिष्ठ अधिकारी इसमें शामिल है, तो उसे कम से कम तीन साल की कैद, जो 10 साल तक हो सकती है, और एक करोड़ का जुर्माना लग सकता है।
इस कानून में यह भी प्रावधान है कि अगर परीक्षा लेने वाली एजेंसी का अधिकारी या परीक्षा कराने वाले लोग पेपर लीक कराने के संगठित अपराध में शामिल हैं तो अधिकतम 10 साल और कम से कम 5 साल की सजा और एक करोड़ तक का जुर्माना लगेगा। यह नियम उन लोगों पर लागू होगा जो संगठित होकर पेपर लीक कराते हैं।
हालांकि अधिसूचना में भारतीय न्याय संहिता और अन्य आपराधिक कानूनों का भी जिक्र है जो 1 जुलाई से लागू होने वाले है। लेकिन नए अधिसूचित कानून में कहा गया है कि भारतीय दंड संहिता के प्रावधान इसके लागू होने तक प्रभावी रहेंगे।
5 मई को मेडिकल एंट्रेंस परीक्षा नीट यूजी 2024 आयोजित हुई थी, जिसमें 24 लाख छात्र बैठे थे। परीक्षा नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने ली थी। 4 जून को नतीजे घोषित कर दिए गए। लेकिन नतीजे आने के बाद नीट में बड़ी धांधली का मामला सामने आया। छात्रों ने कहा कि इसका पेपर लीक कराया गया और गलत सवाल का जवाब देने वाले 1500 से ज्यादा छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए गए। इसके खिलाफ छात्रों ने प्रदर्शन किए। कांग्रेस ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया। मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा। अदालत ने कड़ी टिप्पणियां की लेकिन परीक्षा रद्द नहीं की, एडमिशन होने दिया। प्रदर्शन उग्र होता गया। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस की बेंच में इस पर 8 जुलाई को सुनवाई है लेकिन उससे पहले शुक्रवार को नया कानून लाई।
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