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पेपर लीकः नया कानून लागू, तीन साल की जेल, 1 करोड़ तक का जुर्माना 

केंद्र ने पेपर लीक और परीक्षा में धोखाधड़ी रोकने के लिए नया कानून अधिसूचित किया है। नया कानून सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 के नाम से जाना जाएगा। एक दिन पहले केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि सरकार कड़े नियम कानून बना रही है। 
नीट और यूजीसी नेट परीक्षा में पेपर लीक की घटनाओं की वजह से सरकार चारों तरफ से आलोचना झेल रही है। देश में युवकों के प्रदर्शन हो रहे हैं। 
केंद्र सरकार ने नया कानून शुक्रवार को अधिसूचित किया। नए कानून में प्रावधान है कि पेपर लीक करने या आंसरशीट के साथ छेड़छाड़ करने का दोषी पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति या व्यक्तियों को कम से कम तीन साल की जेल की सजा होगी। इसे ₹10 लाख तक के जुर्माने के साथ पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है। सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे। परीक्षा कराने वालों को संभावित अपराध के बारे में जानकारी होने के बावजूद सूचना नहीं देने पर  उन पर ₹1 करोड़ तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

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नए कानून के तहत केस दर्ज होने के बाद जांच के दौरान, अगर यह पता चलता है कि परीक्षा कराने वाली एजेंसी का किसी वरिष्ठ अधिकारी इसमें शामिल है, तो उसे कम से कम तीन साल की कैद, जो 10 साल तक हो सकती है, और एक करोड़ का जुर्माना लग सकता है।

इस कानून में यह भी प्रावधान है कि अगर परीक्षा लेने वाली एजेंसी का अधिकारी या परीक्षा कराने वाले लोग पेपर लीक कराने के संगठित अपराध में शामिल हैं तो अधिकतम 10 साल और कम से कम 5 साल की सजा और एक करोड़ तक का जुर्माना लगेगा। यह नियम उन लोगों पर लागू होगा जो संगठित होकर पेपर लीक कराते हैं।

हालांकि अधिसूचना में भारतीय न्याय संहिता और अन्य आपराधिक कानूनों का भी जिक्र है जो 1 जुलाई से लागू होने वाले है। लेकिन नए अधिसूचित कानून में कहा गया है कि भारतीय दंड संहिता के प्रावधान इसके लागू होने तक प्रभावी रहेंगे। 

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5 मई को मेडिकल एंट्रेंस परीक्षा नीट यूजी 2024 आयोजित हुई थी, जिसमें 24 लाख छात्र बैठे थे। परीक्षा नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने ली थी। 4 जून को नतीजे घोषित कर दिए गए। लेकिन नतीजे आने के बाद नीट में बड़ी धांधली का मामला सामने आया। छात्रों ने कहा कि इसका पेपर लीक कराया गया और गलत सवाल का जवाब देने वाले 1500 से ज्यादा छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए गए। इसके खिलाफ छात्रों ने प्रदर्शन किए। कांग्रेस ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया। मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा। अदालत ने कड़ी टिप्पणियां की लेकिन परीक्षा रद्द नहीं की, एडमिशन होने दिया। प्रदर्शन उग्र होता गया। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस की बेंच में इस पर 8 जुलाई को सुनवाई है लेकिन उससे पहले शुक्रवार को नया कानून लाई।  

इसी तरह बुधवार को शिक्षा मंत्रालय ने यूजीसी-नेट परीक्षा आयोजित होने के एक दिन बाद ही रद्द कर दी थी। इस परीक्षा में 9 लाख कैंडिडेट्स बैठे थे। यह परीक्षा विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर पद के लिए और जूनियर रिसर्च फेलोशिप के लिए होती है। हालांकि केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और केंद्रीय एजेंसी एनटीए ने बार-बार दावा किया था कि नीट परीक्षा में पेपर लीक नहीं हुए हैं। इससे स्टूडेंट्स की नाराजगी और बढ़ गई थी।
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क़मर वहीद नक़वी
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