भारत-चीन में बढ़ते तनाव के बीच सरकार ने करतारपुर गलियारा खोलने के पाकिस्तान के प्रस्ताव पर सवाल खड़े किए हैं। भारत ने पाकिस्तान के दिखावे को खारिज करते हुए इसे ‘सद्भावना की मृग-मरीचिका’ क़रार दिया है।
एक सरकारी अधिकारी ने एनडीटीवी से कहा, ‘कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए सीमा पार आवाजाही पर रोक लगाई गई थी। स्वास्थ्य अधिकारियों और दूसरे लोगों से सलाह मशविरा के बाद ही इस पर कोई फ़ैसला लिया जाएगा।’
पाकिस्तान ने 29 जून से सिख श्रद्धालुओं के लिए करतारपुर साहिब गलियारा खोलने का एलान किया, लेकिन उसने इसकी जानकारी सिर्फ दो दिन पहले 27 जून को दी।
यह गलियारा पंजाब के गुरदासपुर ज़िले के डेरा बाबा नानक गुरद्वारा को पाकिस्तान के नरोवाल ज़िले के करतारपुर स्थित दरबार साहिब गुरुद्वारे से जोड़ता है। यह गलियारा 4.50 किलोमीटर लंबा है जो अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा को पार करता हुआ पाकिस्तान जाता है। करतापुर स्थिति दरबार साहिब वह जगह है जहाँ सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के अंतिम 18 साल बिताए थे।
भारत-पाकिस्तान के बीच हुए द्विपक्षीय क़रार के अनुसार श्रद्धालुओं से जुड़ी जानकारियाँ दोनों देश साझा करते हैं और उन्हें कम से कम 7 पहले तमाम जानकारियाँ दे देनी होती हैं। पर इस बार पाकिस्तान ने दो दिन पहले ही इसका एलान किया है।
इसके अलावा सीमा के उस पार रावी नदी पर पाकिस्तान को एक पुल बनाना था ताकि बारिश के समय श्रद्धालुओं को दिक्क़त न हो। पर पाकिस्तान ने वह पुल अब तक नहीं बनाया है।
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