क्या भारत में टीवी चैनलों और न्यूज़ वेबसाइट के पास पाकिस्तान के नाम पर कुछ भी बेचने के अलावा कोई और न्यूज़ कंटेट नहीं है। ये चैनल और वेबसाइट्स ऐसे किसी मौक़े की तलाश में रहते हैं कि कब पाकिस्तान से कोई ख़बर गिरे। पिछले पांच सालों से दिन-रात पाकिस्तान, इमरान ख़ान चलाते-चलाते न्यूज़ चैनल्स और वेबसाइट्स शायद इसे भी चेक नहीं करते कि पड़ोसी मुल्क से आई किसी ख़बर की सत्यता क्या है। कुछ भी मिला और उसे मसाला लगाकर दिन भर बेचते रहो लेकिन हर बार ऐसा न्यूज़ कटेंट बिक जाये, यह ज़रूरी नहीं है। कई बार आपको भारी शर्मिंदगी का सामना भी करना पड़ जाता है और ऐसा ही 29 सितंबर को हुआ।
Pakistan's first lady Bushra Bibi's image does not appear in mirrors: PM House staff
— ANI Digital (@ani_digital) September 29, 2019
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Fake News Alert; Indian Media using photoshopped template of Capital TV against PM Imran Khan's wife Bushra Bibi to promote their propaganda
— Capital TV (@CapitalTV_News) September 29, 2019
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बता दें कि इमरान ख़ान राजनीति से ज़्यादा अपनी शादियों को लेकर चर्चा में रहे हैं। पूर्व क्रिकेटर ख़ान ने तीसरी शादी तब की जब उनकी उम्र 65 साल हो चुकी थी और तब यह सवाल उठा था कि आख़िर इस उम्र में इमरान को शादी की क्या ज़रूरत थी जबकि उनके दो तलाक़ हो चुके थे।
बुशरा को लोग पाकिस्तान में आध्यात्मिक गुरु मानते हैं और कहा जाता है कि उनके पास ऐसी ताक़तें हैं जिनसे वह असंभव को संभव कर सकती हैं। ख़बरों के मुताबिक़, जब इमरान ख़ान की बुशरा से मुलाक़ात हुई थी तब वह प्रधानमंत्री बनने के लिए संघर्ष कर रहे थे। कहा जाता है कि बुशरा से शादी करने के बाद ही इमरान ख़ान का पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने का सपना पूरा हुआ था।
यह पत्रकारिता का बुनियादी सिद्धांत है कि जब भी आपके पास कोई ख़बर आये तो उसे ज़्यादा से ज़्यादा सोर्स से चेक किया जाना चाहिए। लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ। एएनआई से ख़बर आई और लगभग सभी चैनलों ने चला दी। पिछले कुछ सालों से यह देखा गया है कि टीवी चैनल टीआरपी के लिए कुछ भी कर-गुजरने के लिए तैयार हैं, वे इस बात की भी जाँच नहीं करते कि ख़बर का सोर्स क्या है और इसकी विश्वसनीयता क्या है। और ऐसे हालात में तो तब और ज़्यादा सतर्क रहना चाहिए जब वह ख़बर पड़ोसी मुल्क से आ रही हो और उसके बारे में आपके पास बहुत ज़्यादा पक्की जानकारी नहीं हो। इस घटना से भारतीय मीडिया की विश्वसनीयता को लेकर सवाल ज़रूर खड़े हुए हैं।
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