भारत में बेरोजगारी की स्थिति भयावह है। लेकिन इसके बावजूद सरकार ने पिछले शनिवार को पिछले दरवाजे यानी लैटरल एंट्री के जरिए अपनी पसंद के 45 लोगों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला। इससे एससी-एसटी, ओबीसी वालों का आरक्षण का हक तो मारा ही गया लेकिन यूपीएससी के जरिए भर्ती होने वाले आईएएस युवकों का भी हक मारा गया। भाजपा अब इसका यह कहकर बचाव कर रही है कि इस पर तो कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने सन् 2000 में विचार किया था। लेकिन भाजपा की चोरी तब पकड़ी गई, जब उसने 2018 से इसके जरिए भर्तियां शुरू कर दीं। नेता विपक्ष राहुल गांधी का कहना है कि लैटरल एंट्री की आड़ में आरएसएस के लोग भर्ती किए जा रहे हैं।