सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया ऑक्सफ़ोर्ड कोरोना वैक्सीन का परीक्षण फिर से शुरू करने के लिए तैयार है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया यानी डीसीजीआई से इसके लिए हरी झंडी मिलने का इंतज़ार है। इसने तीन दिन पहले ही परीक्षण को तब रोकने के लिए कहा था जब परीक्षण किए जाने वाले लोगों में से एक के बीमार पड़ने पर एस्ट्राज़ेनेका कंपनी ने इसका परीक्षण रोक दिया था। अब एस्ट्राज़ेनेका कंपनी ने इसका ट्रायल फिर से शुरू कर दिया है। इसके साथ ही एक बार फिर से करोड़ों लोगों की उम्मीदें बढ़ गई हैं।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राज़ेनेका कंपनी द्वारा तैयार किए जा रहे इस टीके के लिए सीरम इंस्टिट्यूट ने क़रार किया है। इस क़रार में भारत में परीक्षण और टीके का उत्पादन करना भी शामिल है। सीरम इंस्टिट्यूट जल्द ही इस टीके के तीसरे चरण का ट्रायल शुरू करने वाला है और लंबे समय से परीक्षण के पूर्व की तैयारी की जा रही है। लेकिन इसमें कुछ समय के लिए रुकावट आ गई थी।
सीरम इंस्टिट्यूट ने गुरुवार को परीक्षण को रोकने की घोषणा तब की थी जब ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया यानी डीसीजीआई ने इस मामले में नोटिस जारी किया। नोटिस में सीरम इंस्टिट्यूट से पूछा गया था कि उसने यह ताज़ा अपडेट क्यों नहीं बताया कि एस्ट्राज़ेनेका ने इस वैक्सीन का ट्रायल रोक दिया है? तब सीरम इंस्टिट्यूट के बयान में कहा गया था, 'हम स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं और एस्ट्राज़ेनेका के परीक्षणों को फिर से शुरू करने तक भारत में परीक्षणों को रोक रहे हैं।'
लेकिन अब ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने एक बयान में कहा कि ब्रिटेन के नियामक ने सिफ़ारिश की थी कि सुरक्षा डेटा की एक स्वतंत्र समीक्षा के बाद ही परीक्षण फिर से शुरू करें। एस्ट्राज़ेनेका ने कहा, 'यूके समिति ने अपनी जाँच को देखा है और एमएचआरए को सिफ़ारिश की है कि यूके में परीक्षण फिर से शुरू करने के लिए ये सुरक्षित हैं।'
इस ख़बर के बाद सीरम इंस्टिट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने ट्वीट कर कहा, 'जैसा कि मैंने पहले कहा है, जब तक परीक्षण पूरी तरह समाप्त नहीं हो जाते, हमें निष्कर्षों पर नहीं पहुँचना चाहिए। घटनाओं की हाल की शृंखला एक स्पष्ट उदाहरण है कि हमें प्रक्रिया में पूर्वाग्रह क्यों नहीं पालना चाहिए और अंत तक प्रक्रिया का सम्मान करना चाहिए। खुशखबरी, ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी।'
As I’d mentioned earlier, we should not jump to conclusions until the trials are fully concluded. The recent chain of events are a clear example why we should not bias the process and should respect the process till the end. Good news, @UniofOxford. https://t.co/ThIU2ELkO3
— Adar Poonawalla (@adarpoonawalla) September 12, 2020
ऑक्सफोर्ड कोरोना वैक्सीन दुनिया में सबसे आगे रहने वाले कोरोना टीका में से एक है। अब भारत में इसके फिर से परीक्षण को शुरू किए जाने की हरी झंडी मिलने पर टीके के तीसरे चरण का परीक्षण फिर से शुरू किया जा सकेगा।
ऑक्सफ़ोर्ड से बड़ी उम्मीद इसलिए भी है क्योंकि जुलाई महीने में इसके पहले चरण का ट्रायल सफल रहा था। शुरुआती ट्रायल में ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित इस टीके में प्रतिरोधक क्षमता पाई गई और इसे सुरक्षित पाया गया।
इंसानों पर किए गए परीक्षण के नतीजे द लांसेट पत्रिका में छापे गए। रिसर्च पेपर में बताया गया कि कोरोना वायरस वैक्सीन ChAdOx1 nCoV-19 किसी के शरीर में दिए जाने पर वायरस के ख़िलाफ़ प्रतिरोधक क्षमता पाई गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी की इस टीके का ब्रिटेन, ब्राज़ील और दक्षिण अफ़्रीका सहित कई जगहों पर व्यापक रूप से परीक्षण किया गया। यह पहले चरण का परीक्षण था। इसके बाद दूसरा चरण भी सफल रहा।
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