loader

ओवैसी: कांवड़ियों पर फूल, मुसलमानों को नमाज़ की इजाज़त नहीं

नोएडा के सेक्टर 58 में सार्वजनिक पार्क में नमाज़ पर रोक  लगाने के मामले में नया मोड़ आ गया है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुसलमीन के प्रमुख असदउद्दीन ओवैसी ने राज्य सरकार पर तीखा हमला बोल दिया है। उन्होंने कहा है कि 'यूपी पुलिस कांवड़ियों पर फूल बरसाती है, लेकिन कुछ मुसलमानों के हफ़्ते में एक दिन नमाज़ पढ़ लेने से इसे लगता है शांति और सद्भाव बिगड़ सकता है।'

ओवैसी ने  ट्वीट कर कहा, 'इसका मतलब मुसलमानों से यह कहना है कि आप कुछ भी कर लें, ग़लती तो आपकी ही है।'

किरकिरी होने के बाद ज़िला प्रशासन लीपापोती में लग गया है। उसका कहना है कि पार्क में कर्मचारियों के नमाज़ पढ़े जाने के लिए कंपनियों को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा। प्रशासन ने कहा है कि यह आदेश सभी धर्मों पर समान रूप से लागू है, इसलिए इससे यह आशय निकालना बिल्कुल ग़लत है कि यह मुसलमानों के प्रति भेदभाव से प्रेरित है। प्रशासन ने  यह भी साफ़ किया कि यह नोटिस सिर्फ सेक्टर 58 के लिए था, पूरे नोएडा के लिए नहीं। 

गौतम बुद्ध नगर के ज़िला मजिस्ट्रेट बी. एन.  सिंह ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट के 2009 के एक फ़ैसले के मुताबिक़, सार्वजनिक स्थल पर धार्मिक आयोजन के लिए पुलिस और प्रशासन की पूर्व अनुमति ज़रूरी है। पुलिस अफ़सर ने इस निर्णय को लागू करने के लिए ही यह आदेश जारी किया था और उनकी कोई बुरी मंशा नहीं थी।'

दरअसल, प्रशासन ने जो नोटिस जारी किया था, उसमें सेक्टर में काम कर रही कंपनियो से कहा गया था कि यदि उनके मुसलिम कर्मचारी पार्क में नमाज़ अदा करते हुए पाए गए तो इसकी ज़िम्मेदारी उनकी होगी। नोटिस में कहा गया है, 'प्राय: देखने में आया है कि आपके कंपनी के मुसलिम कर्मचारी पाक में एकत्रित होकर नमाज़ पढ़ने आते हैंजिनको पार्क में सामूहिक रूप से मुझ एसएचओ द्वारा मना किया गया है एवं इनके द्वारा दिए गए नगर मजिस्ट्रेट महोदय के प्रार्थना पत्र पर किसी तरह की अनुमति नहीं दी गई है।' 

Owaisi slams UP Police, says flower shower on kanwariyas, muslims not allowed to pray - Satya Hindi

प्रशासन का यू-टर्न इस लिहाज़ से मायने रखता है कि योगी सरकार नोएडा में भारी निवेश के लिए आस लगाए बैठी है। नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्प्रेसवे क्षेत्र में यूपी सरकार हज़ारों करोड़ रुपये निवेश पाना चाहती है। यही कारण है कि अभी हाल ही में गाज़ियाबाद में एक सभा में योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि उत्तर प्रदेश में जनवरी में एक लाख करोड़ का निवेश आएगा। नोएडा में निवेश लुभाने के लिए योगी लगातार जुटे हुए हैं। कई मंचों से उऩ्होंने नोएडा में निवेश करने वाली कंपनियों को हर सुविधा देने की बात की है। 

नोएडा में काम कर रही तमाम बड़ी कंपनियाँ इस फ़रमान से सकते में  थीं। मल्टीनेशनल कंपनी अडोबी इंटरनेशनल,  सैमसंग से लेकर भारतीय कंपनियाँ एचसीएल, एल्सटाम, मिंडा हफ आदि इसे लेकर परेशानी में थीं कि वे कर्मचारियों की फ़ैक्टरी या दफ़्तर के बाहर की किसी गतिविधि को कैसे नियंत्रित कर सकती हैं?

दबाव में दिया था नोटिस?

शुक्रवार की नमाज़ के लिए व्यवस्था करने वाले आदिल राशीद ने आरोप लगाया है कि पिछले महीने गेरुआ गमछा ओढ़े एक व्यक्ति ने अपने फ़ोन से नमाज़ की जगह का विडियो बनाया था और नमाज़ नहीं पढ़ने की चेतावनी दी थी। उनका कहना है कि इसके बाद ही स्थानीय पुलिस कर्मी ने कंपनियों को नोटिस जारी किया। कर्मचारियों का कहना है कि पार्क में नमाज़ काफ़ी पहले से पढ़ी जाती रही है। 

पुलिस का कहना है कि बिशनपुरा गाँव के लोगों की शिकायत पर कंपनियों को नोटिस जारी किया गया था। हालाँकि उन्होंने यह भी कहा कि दो हफ़्ते पहले ही पार्क में नमाज़ पढ़ने की अनुमति के लिए आदिल राशिद नाम के एक व्यक्ति ने 250 लोगों के हस्ताक्षर से एक अर्जी लगाई गई थी। उन्होंने बताया कि ज़िला मजिस्ट्रेट ने अनुमति नहीं दी।

क्या कहना है उलेमाओं का?

ल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और लखनऊ के प्रमुख मुसलिम उलेमा ख़ालिद रशीद फिरंगीमहली ने कहा है कि मुसलमानों को उन जगहों पर नमाज़ अदा करने से बचना चाहिए जिनसे दूसरे लोगों को दिक्क़त होती हो। उन्होंने कहा, 'सार्वजनिक जगहों पर नमाज़ पढ़ने के मामले में लोगों को स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करना चाहिए। सबसे अच्छा यह है कि लोग अपने घरों या मसजिद में ही नमाज़ अदा करें।' 

Owaisi slams UP Police, says flower shower on kanwariyas, muslims not allowed to pray - Satya Hindi

उत्तर प्रदेश शिया वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष सैयद वसीम रिज़वी ने कहा कि लोगों को सार्वजनिक जगहों पर नमाज पढ़ने से पहले प्रशासन की इजाज़त ज़रूर लेनी चाहिए। बग़ैर पूर्व अनुमति के सार्वजनिक जगहों पर नमाज अदा करने की इजाज़त इसलाम में  नहीं है। 

प्रमुख बरेलवी धर्मगुरु मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि यह आस्था का सवाल है। पर लोगों को यह ज़रूर ध्यान में रखना चाहिए कि इससे दूसरों को दिक्क़त न हो। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें