नागरिकता क़ानून को लेकर देश भर में मचे घमासान के बीच विपक्षी दलों के नेताओं की आज दिल्ली में अहम बैठक होनी है। लेकिन विपक्षी नेताओं में एकजुटता का साफ़ अभाव दिखाई दे रहा है। तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस बैठक से किनारा करने की संभावना है। नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ देश भर में लोग आंदोलित हैं और दिल्ली में शाहीन बाग़ से लेकर देश के कई राज्यों में इसके ख़िलाफ़ जोरदार प्रदर्शन हो रहे हैं।
ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई मुलाक़ात के बाद कहा था कि उन्होंने प्रधानमंत्री से नागरिकता क़ानून, एनआरसी और एनपीआर को वापस लेने की अपील की है। ममता ख़ुद इस आंदोलन की अगुवाई कर रही हैं और लगातार रैलियां कर रही हैं।
ममता बनर्जी उनकी पार्टी और वाम दलों के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प होने के बाद नाराज़ हैं। उन्होंने कहा है कि वह विपक्ष की पहली नेता हैं जिसने नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ आंदोलन शुरू किया लेकिन वामदल और कांग्रेस आंदोलन के नाम पर तोड़फोड़ कर रहे हैं।
कांग्रेस ने बताया विभाजनकारी
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने इस क़ानून को विभाजनकारी बताया है। उन्होंने कहा है कि यह क़ानून भारतीयों को धार्मिक आधार पर बांट देगा। कांग्रेस ने माँग की है कि नागरिकता क़ानून को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए और एनपीआर की प्रक्रिया को भी रोका जाना चाहिए। इस क़ानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे जामिया के छात्रों के आंदोलन के हिंसक होने के बाद पुलिस ने विश्वविद्यालय के अंदर घुसकर लाठीचार्ज किया था। इसके ख़िलाफ़ देश ही नहीं दुनिया भर में आवाज़ उठी थी।
कांग्रेस शासित राज्यों की सरकारें स्पष्ट कह चुकी हैं कि वे इस क़ानून को अपने राज्यों में लागू नहीं करेंगे। जबकि केंद्र का कहना है कि राज्य सरकारें इसे लागू करने से इनकार नहीं कर सकती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह सहित बीजेपी के तमाम नेताओं ने विपक्ष पर आरोप लगाया है कि वह इस क़ानून को लेकर लोगों को गुमराह कर रहा है।
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