loader

कृषि क़ानून: विपक्षी दलों ने सरकार से पूछा- कौन फैला रहा है झूठ 

कृषि क़ानूनों को लेकर मोदी सरकार पर हमलावर विपक्ष ने पूछा है कि वह बताए कि इन क़ानूनों को लेकर झूठ कौन फैला रहा है। क्योंकि बीजेपी के नेता और मोदी सरकार के मंत्री लगातार इस बात को कह रहे हैं कि विपक्ष के नेता जब सरकार में थे तो कृषि सुधारों की हिमायत करते थे लेकिन आज वे राजनीति चमकाने के लिए इन नए क़ानूनों का विरोध कर रहे हैं और किसानों को गुमराह कर रहे हैं। 

11 विपक्षी दलों ने गुरूवार को एक संयुक्त बयान जारी किया है। ये दल 8 दिसंबर को किसानों द्वारा बुलाए गए भारत बंद का भी समर्थन कर चुके हैं। 

ताज़ा ख़बरें

बयान में कहा गया है, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लगाए जा रहे आरोप पूरी तरह सच्चाई के साथ धोखा हैं। हम में से कई दलों ने इन कृषि क़ानूनों का संसद में विरोध किया था।’ बयान में आगे कहा गया है कि जिन सांसदों ने वोटिंग की मांग की, उन्हें निलंबित कर दिया गया। 

बयान में कहा गया है, ‘हम पर कई तरह के बेतुके आरोप लगाए जा रहे हैं। इनमें से एक ये है कि जो लोग अपने चुनावी घोषणा पत्रों में कृषि सुधारों की बात करते थे, वे ही अब इनका विरोध कर रहे हैं।’ 

आरोप का जवाब देते हुए इन दलों ने कहा है, ‘हां वे सुधार के पक्ष में हैं लेकिन सवाल यह है कि ये सुधार किस तरह के हैं। हम सभी विपक्षी दल ऐसे सुधार चाहते हैं जो भारत की कृषि को मजबूत करें, किसानों की समृद्धि बढ़ाएं और देश के लोगों की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करें। जबकि ये कृषि क़ानून इन बातों को कमजोर करते हैं।’ 

किसान आंदोलन पर देखिए वीडियो- 

किसानों के पक्ष में एकजुट 

विपक्षी दलों ने कहा है कि उन पर यह आरोप लगाया जा रहा है कि वे एमएसपी को लेकर झूठ बोल रहे हैं। इन दलों ने अपने बयान में दिल्ली के बॉर्डर्स पर धरना दे रहे किसानों के पक्ष में एकजुटता व्यक्त की है और कहा है कि सरकार को इन क़ानूनों को वापस लेना चाहिए। इसके साथ ही बिजली (संशोधन) बिल 2020 को भी वापस लेने की मांग की गई है। इसके अलावा सरकार को किसानों और इसके हितधारकों से कृषि सुधारों को लेकर बातचीत करनी चाहिए और इनके आधार पर संसद नए क़ानूनों को लेकर विचार कर सकती है। 

Opposition on new farm laws - Satya Hindi
बयान में इन दलों के प्रमुख नेताओं के हस्ताक्षर हैं। हस्ताक्षर करने वालों में कांग्रेस के राहुल गांधी, एनसीपी के शरद पवार, डीएमके के टीआर बालू, जम्मू-कश्मीर पीएजीडी के अध्यक्ष फ़ारूक़ अब्दुल्ला, एसपी प्रमुख अखिलेश यादव, आरजेडी के तेजस्वी यादव, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई महासचिव डी. राजा सहित कई अन्य नेताओं के हस्ताक्षर हैं। 
देश से और ख़बरें

दबाव बना रहा विपक्ष 

कृषि क़ानूनों के मसले पर तमाम विपक्षी दलों ने भी केंद्र सरकार पर ख़ासा दबाव बढ़ा दिया है। कांग्रेस, टीएमसी, एनसीपी, एसपी, आम आदमी पार्टी, शिव सेना लगातार बीजेपी और मोदी सरकार पर हमलावर हैं। विपक्षी दलों के नेता राष्ट्रपति से मिल चुके हैं। राहुल गांधी ने भी गुरूवार को राष्ट्रपति से मुलाक़ात की थी। अरविंद केजरीवाल किसानों के समर्थन में एक दिन की भूख हड़ताल कर चुके हैं। 

किसानों की भूख हड़ताल से लेकर भारत बंद तक के कार्यक्रम को विपक्षी दलों का समर्थन मिला है। हालांकि किसानों ने अपने आंदोलन को पूरी तरह ग़ैर राजनीतिक रखा है लेकिन विपक्ष को किसान आंदोलन से सियासी मौका मिला है और वह खुलकर किसान आंदोलन का समर्थन कर रहा है। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें