राष्ट्रपति को पत्र कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने लिखा है और पार्टी के सांसद दिग्विजय सिंह, शक्तिसिंह गोहिल, प्रमोद तिवारी, अमी याग्निक, रंजीत रंजन, इमरान प्रतापगढ़ी, आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा, शिवसेना (यूबीटी) सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी और समाजवादी पार्टी के सदस्य जया बच्चन और राम गोपाल यादव ने चिट्ठी का समर्थन किया है।
हालाँकि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। पूर्व सीजेआई एन वी रमना ने 26 नवंबर, 2021 को संविधान दिवस पर मीडिया, ख़ासकर, सोशल मीडिया में न्यायपालिका पर 'बढ़ते' हमलों पर चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने कहा था कि ये हमले प्रायोजित और लक्षित मालूम पड़ते हैं, और केंद्रीय एजेंसियों को इनसे प्रभावी ढंग से निपटना चाहिए। केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा था कि सीजेआई रमना ने उन्हें पत्र लिखकर न्यायाधीशों की सोशल मीडिया आलोचना पर अंकुश लगाने के लिए कानून बनाने का अनुरोध किया था। हालांकि, रिजिजू ने कहा था कि कानून के जरिए न्यायाधीशों की आलोचना को रोकना संभव नहीं है।
16 मार्च को लिखे पत्र में कहा गया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस्तेमाल किए गए शब्द और उसकी सामग्री गंदी और निंदनीय है।
पत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की शक्ति परीक्षण की वैधता से संबंधित एक मामले की सुनवाई के बाद ऑनलाइन ट्रोल्स ने सीजेआई और न्यायपालिका पर हमला किया। कोश्यारी के शक्ति परीक्षण के फ़ैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की सरकार गिर गई थी। बाद में एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई।
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