पूर्णिमा दास
बीजेपी - जमशेदपुर पूर्व
आगे
पूर्णिमा दास
बीजेपी - जमशेदपुर पूर्व
आगे
बाबूलाल मरांडी
बीजेपी - धनवार
आगे
ऑफिस ऑफ प्रॉफिट यानी लाभ के पद के मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी संकट में है। हेमंत सोरेन पर आरोप है कि उन्होंने जून 2021 में मुख्यमंत्री रहते हुए खुद के नाम खदान का पट्टा आवंटित करा लिया था। जानना जरूरी होगा कि ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला क्या है।
संविधान के अनुच्छेद 102 (1) (ए) के अनुसार, किसी भी सांसद या विधायक को अयोग्य घोषित किया जा सकता है, यदि वह भारत सरकार या राज्य सरकार के तहत लाभ के किसी पद पर हों और उन्हें वेतन या भत्ते समेत अन्य कोई लाभ मिलते हों।
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, हेमंत सोरेन के पिता और झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन, सपा की नेता जया बच्चन सहित कई नेताओं के खिलाफ ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में कार्रवाई हो चुकी है।
साल 2006 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपनी लोकसभा की सदस्यता छोड़नी पड़ी थी क्योंकि उन पर यह आरोप लगे थे कि वह सांसद रहते हुए ही तत्कालीन केंद्र सरकार में नेशनल एडवाइजरी काउंसिल के चेयरपर्सन के पद पर हैं। इसके बाद उन्होंने रायबरेली सीट से फिर से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी।
साल 2006 में समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन को राज्यसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था क्योंकि वह उत्तर प्रदेश राज्य फिल्म विकास परिषद के अध्यक्ष पद पर भी थीं।
साल 2002 में शिबू सोरेन को राज्यसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था क्योंकि वह सांसद रहते हुए भी झारखंड क्षेत्रीय स्वास्थ्य परिषद के अध्यक्ष के पद पर भी थे।
बीजेपी ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 9ए का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए हेमंत सोरेन को अयोग्य घोषित करने की मांग की है। 1951 की धारा 9ए सरकारी अनुबंधों के लिए अयोग्यता से संबंधित है।
About Us । Mission Statement । Board of Directors । Editorial Board | Satya Hindi Editorial Standards
Grievance Redressal । Terms of use । Privacy Policy
अपनी राय बतायें