ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण रेल हादसे ने रेलवे की तकनीक और रेल मंत्रालय के उन दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिन्हें लेकर वो अपनी पीठ थपथपाती है रहती है। देश भर में लोग सवाल उठा रहे हैं कि रेलवे के कवच प्रोजेक्ट का क्या हुआ। कवच को रेलवे ने जीरो एक्सीडेंट टार्गेट हासिल करने के लिए लॉन्च किया था। हालांकि प्राप्त जानकारी के मुताबिक रेलवे की कवच टेक्नोलॉजी को सभी ट्रैक पर अभी तक नहीं जोड़ा गया है। हादसे वाले रूट पर यह नहीं लगा था। ट्रेन में भी यह नहीं लगा था।
क्या है कवच सिस्टम
कवच एक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है। इसे भारतीय रेलवे ने आर. डी.एस.ओ (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन) के जरिए विकसित किया है। कुछ महीने पहले ही रेल मंत्रालय ने कहा था कि वह एक ऐसा सिस्टम लाने जा रहा है जिससे रेल हादसे रुक जाएंगे। इस सिस्टम को कवच सिस्टम कहा जाता है, जिसका पूरा नाम है ट्रेन कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम।
यह एक ऐसी स्वचालित सुरक्षा प्रणाली है, जिसके जरिए रेलवे ट्रेन हादसों को रोकने की योजना बना रही है। कवच लोकोमोटिव में स्थापित इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन की एक ऐसी प्रणाली है जो रेलवे के सिग्नल सिस्टम के साथ - साथ पटरियों पर दौड़ रही ट्रेनों की गति को भी नियंत्रित करती है। इसी प्रणाली के जरिए रेल हादसों पर लगाम लगाने की बात कही जा रही है। कोरोमंडल रेल हादसे को लेकर रेलवे अधिकारियों की ओर से कहा जा रहा है कि इस ट्रेन में कवच सिस्टम इंस्टॉल नहीं था। अगर इस ट्रेन में ये सिस्टम इंस्टॉल होता तो शायद यह हादसा नहीं होता।
ऐसे काम करता है कवच सिस्टम
कवच सिस्टम को हर स्टेशन पर एक किलोमीटर की दूरी पर इंस्टॉल किया जाता है। इसके साथ ही इसे ट्रेन, ट्रैक और रेलवे सिग्नल सिस्टम में भी इंस्टॉल किया जाता है। कवच सिस्टम एक दूसरे कंपोनेंट्स से अल्ट्रा हाई रेडियो फ्रिक्वेंसी के जरिए कम्युनिकेट करता है।
कवच सिस्टम इंस्टॉल करने के बाद जब किसी वजह से लोकोपायलट रेलवे सिग्नल को जंप करता है तो यह कवच सिस्टम एक्टिव हो जाता है और यह लोकोपायलट को अलर्ट करता है। साथ ही यह ट्रेन के ब्रेक्स को नियंत्रित करने लगता है। इसके साथ ही इस सिस्टम को अगर पता चलता है कि एक ही पटरी पर दूसरी ट्रेन भी आ रही है तो वह दूसरी ट्रेन को तुरंत अलर्ट भेजता है और दूसरी ट्रेन एक निश्चित दूरी पर आकर खुद रुक जाती है।
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