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नूंह हिंसाः कई रोहिंग्या गिरफ्तार, पुलिस का सबूत का दावा, एनजीओ चिंतित 

हरियाणा पुलिस ने 31 जुलाई को नूंह में हुई सांप्रदायिक हिंसा के सिलसिले में कई रोहिंग्या शरणार्थियों को गिरफ्तार किया है। नूंह के एसपी नरेंद्र बिजारनिया ने कहा कि रोहिंग्या शरणार्थियों ने तावड़ू में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया था, जिसके कारण तोड़फोड़ अभियान चलाया गया था, लेकिन उनमें से कुछ की पहचान पथराव करने और दंगाई भीड़ का हिस्सा होने के लिए भी की गई है।
एसपी नूंह ने हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया, "हमने उनकी पहचान की है जो हिंसा में शामिल थे और हमारे पास इसके सबूत हैं और इसके आधार पर टीमों ने उन्हें गिरफ्तार किया है।"

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नूंह पुलिस यह नहीं बता रही है कि धार्मिक यात्रा में हथियार और तलवार लेकर आने वालों पर उसने क्या कार्रवाई की है। जबकि यह सवाल केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह और भाजपा के नेताओं ने ही उठाया था। इसी तरह नूंह में हिंसा का आरोप दोहरी हत्या में आरोपी मोनू मानेसर पर लगा है। बिट्टू बजरंगी भी आरोपों के घेरे में है, लेकिन पुलिस ने इन पर कोई कार्रवाई नहीं की। नूंह पुलिस ने धारा 144 का हवाला देकर रविवार 6 अगस्त को सीपीआई सांसद के नेतृत्व में आने वाले 4 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को नूंह के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में जाने से रोक दिया। लेकिन गुड़गांव में धारा 144 लागू होने के बावजूद हिन्दू समाज की महापंचायत होने दी गई। पुलिस ने वहां सुरक्षा भी दी। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि हेट स्पीच देना मना है लेकिन इस हिन्दू महापंचायत में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की धज्जियां उड़ गईं। 
अब नूंह की हिंसा में जिस तरह गरीब रोहिंग्या शरणार्थियों को गिरफ्तार किया जा रहा है, यह मामला अब दूसरी तरफ मुड़ रहा है।
रोहिंग्या ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (एनजीओ) के संस्थापक और निदेशक सब्बर क्याव मिन ने कहा कि रोहिंग्या रिफ्यूजी शिविरों में अधिकांश शरणार्थी रिक्शा चालक, कचरा बीनने वाले और सब्जी बेचने वाले हैं। उन्होंने कहा, "एफआरआरओ अधिकारियों ने शरणार्थी शिविर में सूचित किया था कि उनके पास कम से कम 17 शरणार्थियों की सूची थी और उन्होंने उनमें से कुछ को चुना था जिनकी हिंसा में शामिल होने के लिए पहचान की गई थी।"
मिन ने कहा कि भारी सशस्त्र बलों के साथ आश्चर्यजनक तोड़फोड़ कार्रवाई गुरुवार को शुरू हुई थी और शरणार्थियों को उनके स्थान से बाहर निकाल दिया गया। समुदाय को मनमाने ढंग से हिरासत में लेने का डर है क्योंकि उनमें से कुछ को पुलिस की एक विशेष शाखा के सामने पेश होने के लिए कहा गया था।

मिन ने कहा कि यदि कोई शरणार्थी अवैध गतिविधियों में शामिल है, तो एनजीओ पुलिस की सहायता करेगा, लेकिन इस तरह की छापेमारी करने से रोहिंग्या रिफ्यूजी असुरक्षित और परेशान महसूस करते हैं। यह उनके खिलाफ एक अनुचित और भेदभाव वाला एक्शन है। शिविरों में स्थिति गंभीर है और लोग भय में जी रहे हैं। उनके साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है मानो वे डाकू या अपराधी हों। एजेंसियां अपना स्वार्थ पूरा कर रही हैं।''

रोहिंग्या कौन हैं?

रोहिंग्या मुख्य रूप से म्यांमार के मुस्लिम शरणार्थी हैं जो 2017 में सरकार द्वारा समुदाय के खिलाफ टारगेटेड हिंसा के बाद अपने देश से भाग गए थे। भारत में लगभग 16,000 यूएनएचसीआर-प्रमाणित रोहिंग्या शरणार्थी हैं। सरकारी अनुमान के अनुसार भारत में रहने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों की संख्या 40,000 से अधिक है, जिनमें सबसे अधिक संख्या जम्मू और उसके आसपास रहते है।

रोहिंग्या झुग्गियों पर बुलडोजर

स्थानीय पुलिस ने कहा कि गुरुवार को नूंह के तावड़ू इलाके में स्थित रोहिंग्या शिविरों में झोपड़ियों पर बुलडोज़र चला दिया गया, उन्होंने कहा कि उन्होंने रोहिंग्या शरणार्थियों के बीच संदिग्धों की पहचान की है जो कथित तौर पर क्षेत्र में 31 जुलाई की हिंसा में शामिल थे। 

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नूंह के डिप्टी कमिश्नर प्रशांत पवार ने कहा कि पूरे नूंह में रोहिंग्याओं द्वारा कब्जा की गई 50 से अधिक अवैध संपत्तियों की पहचान की गई है, उन्होंने कहा कि विध्वंस अभियान संबंधित एजेंसियों द्वारा चलाया गया था और पुलिस ने जनशक्ति और सुरक्षा प्रदान की थी।
हालांकि स्थानीय लोगों का कहना है कि जिन लोगों की कथित अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर चला है, वे सभी रोहिंग्या नहीं हैं। वे मेवात के बाशिंदे हैं। उनके पास जमीन के दस्तावेज हैं। यह मामला देर सवेर अदालत में जाएगा और वहीं से लोगों को इंसाफ मिलेगा। लेकिन कुल मिलाकर तोड़फोड़ की कार्रवाई से मेवात में शांति वापस लौटने वाली नहीं है।
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क़मर वहीद नक़वी
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