मोदी सरकार के साथ 2015 के नगा फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद पहली बार एनएससीएन (आई-एम) के प्रमुख टी. मुइवा ने कहा कि नगा ध्वज और संविधान की मांग कायम रहेगी
एनएससीएन (आई-एम) सख़्त
इस समझौते में असम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर के सभी नगा बहुल क्षेत्रों के एकीकरण की शर्त बनी रहेगी। इस बयान से शांति प्रक्रिया पटरी से उतर सकती है क्योंकि सरकार पहले अलग संविधान की माँग ठुकरा चुकी है और कह चुकी है कि असम, अरुणाचल और मणिपुर को ग्रेटर नागालिम के लिए विभाजित नहीं किया जाएगा। मोदी सरकार, जिसने फ्रेमवर्क समझौते को एक बड़ी सफलता के रूप में चिह्नित किया था, ने इस वर्ष सितंबर तक एनएससीएन (आई-एम) के साथ शांति समझौते की उम्मीद की थी।'स्वतंत्रता दिवस’
मुइवा ने 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ नगालिम’ के 74 वें 'स्वतंत्रता दिवस’ के अवसर पर नगालैंड के लोगों को संबोधित करते हुए ये दावे किए हैं। मुइवा के लिए भाषण को सार्वजनिक करना भी असामान्य बात मानी जा रही है। उन्होंने 'स्वतंत्रता दिवस' पर पहले भी भाषण दिए हैं, लेकिन वे कभी सार्वजनिक नहीं किए गए।क्या है समझौते में?
समझौते में यह भी कहा गया है , 'संप्रभु सत्ता साझा करने वाली दो संस्थाओं का समावेशी शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व'। 'समावेशी' द्वारा इसका मतलब है कि विभिन्न प्रशासनिक इकाइयों और राजनीतिक समूहों में सभी नगाओं को समझौते में शामिल किया जाना है। क़ानूनी विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि समझौते में 'सह-अस्तित्व' और 'साझा संप्रभुता' शब्द दो संस्थाओं पर लागू होते हैं, एक पर नहीं। मुइवा ने कहा,“
‘नगा भारत के साथ सह-अस्तित्व की शक्तियों को साझा करेंगे ... लेकिन वे भारत में विलय नहीं करेंगे।’
टी. मुइवा, प्रमुख, एनएससी (आई-एम)
'भारत में विलय नहीं'
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि नगा सरकार से झंडा और संविधान नहीं मांग रहे थे - दूसरी तरफ, ये हमेशा से उनके पास थे। टी मुइवा ने कहा,“
‘हमारा अपना झंडा और संविधान है। झंडा और संविधान हमारी मान्यता प्राप्त संप्रभु इकाई और नगा राष्ट्रवाद के प्रतीक हैं। नगाओं को अपना झंडा और संविधान रखना चाहिए।’
टी. मुइवा, प्रमुख, एनएससी (आई-एम)
ग्रेटर नागालिम
नगा शांति वार्ता के जरिये औपनिवेशिक शासन के समय से चले आ रहे विवादों को निपटाने की कोशिश हो रही है। नगा एकल जनजाति नहीं है, बल्कि एक जातीय समुदाय है, जिसमें कई जनजातियाँ शामिल हैं, जो नगालैंड और उसके पड़ोस में रहते हैं।नगा समूहों की एक प्रमुख माँग ‘ग्रेटर नगालिम’ की रही है जो न केवल नगालैंड राज्य बल्कि पड़ोसी राज्यों के हिस्सों और यहां तक कि म्यांमार के राज्यों को भी कवर कर सके।
1918 का नगा क्लब
नगा प्रतिरोध का सबसे पुराना संकेत नगा क्लब के गठन के साथ 1918 का है। 1929 में क्लब ने साइमन कमीशन को ‘प्राचीन काल की तरह स्व-शासन निर्धारित करने के लिए खुद को अकेला छोड़ने के लिए’ कहा था।नगा विद्रोह
1950 के दशक के प्रारंभ में एनएनसी ने हथियार उठा लिए और भूमिगत हो गया। एनएनसी 1975 में विभाजित हो गई। अलग हुआ समूह एनएससीएन कहलाया, जो बाद के वर्षों में फिर विभाजित हो गया। 1988 में एनएससीएन(आई-एम) और एनएससीएन (खापलांग) अस्तित्व में आए।युद्ध विराम
एनएससीएन (आईएम) ने 1997 में सरकार के साथ एक युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए। प्रमुख समझौता यह था कि एनएससीएन (आईएम) के ख़िलाफ़ कोई उग्रवाद विरोधी आक्रमण नहीं होगा, जो बदले में भारतीय सेना पर हमला नहीं करेगा।अगस्त 2015 में केंद्र ने एनएससीएन (आईएम) के साथ एक समझौता पर हस्ताक्षर किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भारत में सबसे पुराने उग्रवाद’ को निपटाने के लिए एक ‘ऐतिहासिक समझौता’ बताया था।
इसने चल रही शांति वार्ता के लिए मंच तैयार किया। 2017 में नगा नेशनल पॉलिटिकल ग्रुप्स के बैनर के तहत छह अन्य नगा सशस्त्र संगठन बातचीत में शामिल हुए।
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