नृपेंद्र मिश्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव का पद छोड़ दिया है। हालाँकि, प्रधानमंत्री के आग्रह पर वह सितंबर के पहले दो हफ़्ते तक इस पद पर काम करते रहेंगे। वह प्रधानमंत्री के सबसे क़रीबियों से एक रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि मिश्रा ने चुनाव बाद ही पद छोड़ने की इच्छा जताई थी, लेकिन उनके आग्रह पर वह अब तक इस पद पर बने रहे। नृपेंद्र मिश्र की जगह अब पी.के. सिन्हा प्रधान सचिव होंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर उन्हें बहुत शानदार अफ़सर बताया। उन्होंने ट्वीट किया, 'श्री नृपेन्द्र मिश्रा सबसे उत्कृष्ट अधिकारियों में से हैं, जिनके पास सार्वजनिक नीति और प्रशासन की बहुत बड़ी समझ है। जब मैं 2014 में दिल्ली में नया था तो उन्होंने मुझे बहुत कुछ सिखाया और उनका मार्गदर्शन बेहद मूल्यवान रहा।'
प्रधानमंत्री ने लिखा कि मिश्रा ने उन्हें सिर्फ़ व्यक्तिगत तौर पर ही मदद नहीं की, बल्कि उन्होंने पिछले पाँच साल में सहायक की भूमिका भी निभाई है। सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि नृपेंद्र मिश्रा ने सेवा से मुक्त किए जाने की माँग की थी, लेकिन प्रधानमंत्री के आग्रह पर उन्होंने दो सप्ताह और सेवाएँ देने को राज़ी हुए। मिश्रा की देश के सबसे ताक़तवर अफ़सरों में गिनती होती है।
एक यूपी कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी मिश्रा भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण के चेयरपर्सन, दूरसंचार सचिव और उर्वरक सचिव भी रहे हैं।
जब वह पीएम के कार्यालय में शामिल हुए तो उन्हें कैबिनेट रैंक दिया गया। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण के नियमों में संशोधन किया गया था ताकि वह सेवानिवृत्ति के बाद फिर से सरकार में शामिल हो सकें। इस साल एक बड़ी चुनावी जीत के बाद 11 जून को जब प्रधानमंत्री मोदी ने दूसरा कार्यकाल शुरू किया तब मिश्रा को दुबारा प्रधानमंत्री का प्रधान सचिव नियुक्त किया गया।
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